बेटे को साथ सुलाई थी, उसने मुझे चोद दिया

Ma Beta Sex Story : हाय दोस्तों, मेरा नाम संगीता है। उम्र 38 साल, गोरा रंग, भरी हुई चूचियाँ जो मेरी साड़ी में अभी भी टाइट लगती थीं, और एक मटकता हुआ बदन जो मेरे बेटे, अजय, की नजरों का शिकार बन गया। मेरे पति की मौत को 8 साल हो चुके थे। मैंने अकेले अपने बेटे को पाल-पोसकर बड़ा किया था। अजय अब 19 साल का था—लंबा, मजबूत, और एक ऐसा मोटा, काला लंड जो मेरे जिस्म को देखते ही सख्त हो जाता था। हमारा रिश्ता हमेशा माँ-बेटे का रहा—प्यार, भरोसा और देखभाल से भरा। लेकिन उस रात जब मैंने उसे अपने साथ सुलाया, उसने मेरे साथ वो कर दिया जो कोई माँ अपने बेटे से उम्मीद नहीं करती। मेरी ये कहानी सुनकर आप भी सोच में पड़ जाएँगे कि ऐसा कैसे हो सकता है।

उस दिन रात का वक्त था। गर्मी बहुत थी, और बिजली चली गई थी। हमारे गाँव के छोटे से घर में सिर्फ एक कमरा था, जहाँ मैं और अजय सोते थे। मैंने एक पतली नाइटी पहनी थी, जो पसीने से भीगकर मेरे जिस्म से चिपक रही थी। मेरी चूचियाँ नाइटी से बाहर उभर रही थीं, और मेरे निप्पल साफ दिख रहे थे। मेरी गोरी जांघें हर हलचल पर नजर आ रही थीं। मैं बिस्तर पर लेटी थी, और अजय मेरे पास दूसरी चारपाई पर सो रहा था। “माँ, गर्मी बहुत है। क्या मैं आपके पास सो जाऊँ?” उसने धीरे से कहा। उसकी आवाज में मासूमियत थी, और मुझे उस पर पूरा भरोसा था। “ठीक है, अजय। पास आ जा,” मैंने उसे अपने बगल में जगह दी। वो मेरे पास लेट गया, और उसका गर्म बदन मेरे जिस्म से सट गया।

मैं सोने की कोशिश कर रही थी, जब उसका हाथ मेरी कमर पर सरक गया। मैं चौंक गई, “अजय, ये क्या कर रहा है?” मैंने उसकी ओर देखा। उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी। “माँ, आप बहुत खूबसूरत हो। आपकी चूचियाँ मुझे तड़पाती हैं,” उसने मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा। उसकी साँसें मेरे गले पर गर्म लहरें छोड़ रही थीं। मैं सिहर उठी, “अजय, ये क्या बोल रहा है? मैं तेरी माँ हूँ!” लेकिन वो मेरे ऊपर चढ़ गया, और उसका हाथ मेरी चूचियों पर सरक गया। “माँ, आप अकेली हो। आपके जिस्म की प्यास मुझे दिखती है,” उसने कहा और मेरी नाइटी के ऊपर से मेरी चूचियों को दबाने लगा। “उफ्फ… अजय… मत कर… ये गलत है…” मैं सिसकार उठी। लेकिन सच कहूँ, उसकी छुअन से मेरी चूत में एक अजीब-सा गीलापन छा गया। पति की मौत के बाद मेरे जिस्म ने कभी ऐसा कुछ महसूस नहीं किया था।

उसने मेरी नाइटी ऊपर उठाई और मेरी चूचियों को नंगी कर दिया। मेरे गोरे, मोटे दूध उसके सामने थे, और मेरे निप्पल सख्त होकर उसे बुला रहे थे। “आह्ह्ह… अजय… छोड़ दे… मैं तेरी माँ हूँ… उफ्फ…” मैं कराह रही थी। लेकिन वो मेरी एक चूची को मुँह में भरकर चूसने लगा। “उफ्फ… माँ… आपके दूध का स्वाद मुझे दीवाना बना रहा है… आह्ह्ह…” वो मेरे निप्पल को चूस रहा था, और उसकी उंगलियाँ मेरी दूसरी चूची को मसल रही थीं। मैं तड़प रही थी। मेरी चूत में आग लग रही थी, और मैंने उसकी कमर पकड़ ली। “आह्ह्ह… अजय… धीरे चूस… मेरी चूचियाँ दुख रही हैं… ओहhh…” मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं। उसने मेरी नाइटी पूरी उतार दी, और मेरा नंगा बदन उसके सामने था। मेरी गोरी जांघें चमक रही थीं, मेरी नाभि गहरी थी, और मेरी चूत उसके सामने नंगी थी—हल्के बालों से ढकी, गीली, और गर्म।

“माँ, आपका जिस्म तो किसी जवान औरत से कम नहीं। आपकी चूत को चोदने का मन कर रहा है,” उसने कहा और मेरी टाँगें चौड़ी कर दीं। मैं डर गई, “अजय… नहीं… ये पाप है… उफ्फ…” लेकिन वो मेरी चूत पर अपनी जीभ फिराने लगा। “आह्ह्ह… अजय… क्या कर रहा है… मेरी चूत में आग लग रही है… ओहhh…” मैं सिसकार रही थी। उसकी जीभ मेरी चूत के होंठों को चाट रही थी, और मैं पागल हो रही थी। “उफ्फ… अजय… चाट ले… मेरी चूत को चूस डाल… आह्ह्ह…” मैं चिल्ला रही थी। उसने मेरी चूत में अपनी उंगलियाँ डाल दीं, पहले एक, फिर दो, और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। “उफ्फ… अजय… दर्द हो रहा है… मेरी चूत फट रही है… आह्ह्ह…” मैं तड़प रही थी। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, और मेरा रस उसकी उंगलियों पर चमक रहा था।

उसने अपनी पैंट नीची की, और उसका मोटा, काला लंड बाहर आ गया—लंबा, सख्त, और नसों से भरा हुआ। मैं उसे देखकर डर गई। “अजय… ये बहुत बड़ा है… मेरी चूत फट जाएगी… उफ्फ…” मैं काँप रही थी। लेकिन वो मेरे ऊपर चढ़ गया और अपना लंड मेरे होंठों पर रगड़ने लगा। “चूस इसे, माँ। मेरे लिए तैयार हो जा,” उसने कहा। मैंने डरते-डरते उसका लंड मुँह में लिया। “उम्म… अजय… कितना मोटा है… उफ्फ…” मैं चूस रही थी, और उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था। वो मेरे बाल पकड़कर मेरे मुँह को चोदने लगा, “चूस, माँ… मुझे तड़पाओ मत… आह्ह्ह…”

फिर उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं। मेरी चूत उसके सामने थी, गीली और तड़पती हुई। “अजय… धीरे करना… मैं तेरी माँ हूँ… उफ्फ…” मैंने कहा। उसने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा और एक जोरदार झटके में अंदर पेल दिया। “आह्ह्ह्ह… मर गई… अजय… निकाल दो… मेरी चूत फट गई… उफ्फ…” मैं दर्द से चीख पड़ी। उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर तक घुस गया था। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा, और “थप-थप-थप” की आवाज कमरे में गूँज उठी। “माँ, आपकी चूत को चोदने में मज़ा आ रहा है,” वो गंदी बात करते हुए मेरी चूचियाँ मसल रहा था। मैं कराह रही थी, “आह्ह्ह… अजय… धीरे… मेरी चूत जल रही है… ओहhh…”

धीरे-धीरे दर्द मज़े में बदल गया। मेरे जिस्म ने मेरे मन को हरा दिया। मैंने उसकी कमर पकड़ ली और चिल्लाई, “चोद दे… अपनी माँ की चूत को फाड़ दे… आह्ह्ह…” वो मेरी चूत को जमकर चोद रहा था। फिर उसने मुझे घोड़ी बना दिया। मेरी गांड हवा में थी, और वो मेरी गांड को थप्पड़ मारते हुए बोला, “माँ, आपकी गांड भी चोदूँगा। आपका पूरा जिस्म मेरा है।” उसने मेरी गांड पर थूक लगाया और अपना लंड उसकी दरार में रगड़ने लगा। मैं डर गई, “अजय… गांड मत मार… उफ्फ… फट जाएगी…” लेकिन उसने मेरी एक न सुनी। उसने अपना लंड मेरी गांड में धीरे-धीरे सरकाना शुरू किया। “आह्ह्ह्ह… मादरचोद… मर गई… निकाल दो… ओहhh…” मैं दर्द से चिल्ला रही थी। उसका लंड मेरी गांड को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया। वो मेरी गांड को चोदने लगा, और मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं, “उफ्फ… अजय… धीरे… मेरी गांड फट रही है… आह्ह्ह…” धीरे-धीरे दर्द मज़े में बदल गया, और मैं चिल्लाई, “चोद दे… मेरी गांड को भी फाड़ दे… ओहhh…”

रात गहराने लगी थी। अजय ने मुझे फिर से लिटाया और मेरी चूत में लंड पेल दिया। “माँ, आपकी चूत को चोदकर संतुष्ट कर दूँगा,” वो गुर्रा रहा था। मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह्ह… अजय… चोद दे… मेरी चूत को भर दे… उफ्फ…” उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था, और मेरी चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं। वो मेरी चूचियों को चूस रहा था, और उसकी उंगलियाँ मेरी गांड में घुस रही थीं। मैं चिल्ला रही थी, “उफ्फ… अजय… मेरे दोनों छेद भर दे… आह्ह्ह…” वो मुझे पूरी रात चोदता रहा—कभी धीरे, कभी तेज। आखिर में उसका गर्म रस मेरी चूत में छूट गया। “आह्ह्ह… माँ… ले मेरा रस…” वो चिल्लाया। मैं भी उसी वक्त झड़ गई, और हमारा रस बिस्तर पर फैल गया।

मैं थककर लेट गई। मेरी चूत और गांड सूज गई थीं, और मेरा बदन पसीने से तर था। सुबह जब मैं उठी, तो शर्मिंदगी और गुस्से से मेरा मन भारी था। “अजय, ये क्या किया तूने? मैं तुझे साथ सुलाई थी, और तूने मुझे चोद दिया?” मैंने रोते हुए पूछा। वो मेरे पास आया और मेरी चूचियाँ सहलाते हुए बोला, “माँ, आप अकेली थीं। मैंने बस आपकी प्यास बुझाई।” मैं कराहते हुए बोली, “आह्ह्ह… अजय… तूने मेरे साथ ऐसा किया… अब मैं तेरे साथ नहीं सौंगी… उफ्फ…” उस रात के बाद मैं अजय से दूर रहने लगी। मेरे मन में सवाल उठता है कि क्या कोई बेटा अपनी माँ के साथ ऐसा कर सकता है। दोस्तों, मेरी ये कहानी सुनकर आप क्या कहते हैं? अब मैं अपने ही बेटे से डरती हूँ।