पहली रात को पति के जीजा ने सुहागरात मनाया मेरे साथ

शादी की पहली रात थी, और मेरा दिल धड़क रहा था। मैं, प्रिया, 24 साल की नई-नवेली दुल्हन, अपने ससुराल के बड़े से कमरे में सजी-धजी बैठी थी। मेरा लाल जोड़ा मेरे गोरे जिस्म को चूम रहा था, और साड़ी का पल्लू मेरी पतली कमर से सरककर मेरी गहरी नाभि को नंगा छोड़ रहा था। मेरी चूचियाँ ब्लाउज़ में कसकर उभर रही थीं, निप्पल सख्त होकर बाहर झाँक रहे थे, और मेरी मोटी गांड साड़ी में लचक रही थी। मेरी चिकनी बूर पेटीकोट के नीचे गीली हो रही थी, और मेरे रसीले होंठ पति के इंतज़ार में सिसक रहे थे। कमरा गुलाब की पंखुड़ियों से सजा था, और हल्की रोशनी में मेरा जिस्म और भी हॉट लग रहा था। मैं सोच रही थी कि मेरा पति, राहुल, आज मेरी चूचियाँ चूसकर, मेरी बूर चोदकर और मेरी गांड फाड़कर मेरी सुहागरात को यादगार बना देगा। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था।

दरवाज़ा खुला, और मैंने घूँघट उठाया। सामने राहुल नहीं, उसका जीजा—विकास—खड़ा था। उसकी उम्र 30 साल, लंबा कद, चौड़ा सीना, और पजामे में उसका मोटा लंड साफ उभर रहा था। उसकी आँखें मेरे जिस्म को चाट रही थीं—मेरी चूचियों से लेकर मेरी गांड और चूतड़ तक। “प्रिया, राहुल नशे में धुत होकर सो गया। आज तेरी सुहागरात मैं मनाऊँगा,” उसकी आवाज़ में लंड की भूख थी। मैं चौंकी, लेकिन मेरी बूर में एक अजीब सी सनसनी उठी। “जीजा जी, ये गलत है,” मैंने सिसकते हुए कहा, पर मेरे चूतड़ मटक गए। उसने पास आकर मेरे होंठों को देखा और बोला, “गलत में ही मज़ा है, प्रिया। तेरी चूचियाँ चूसूँगा, बूर चोदूँगा, गांड फाड़ूँगा—सुहागरात से ज़्यादा मज़ा दूँगा।” उसकी बातों से मेरी चूतड़ सिहर उठे, और मैंने कहा, “तो चोद दो न, मेरी बूर गीली हो रही है!”

विकास मेरे पास आया, और उसने मेरा घूँघट खींचकर फेंक दिया। उसकी नज़रें मेरी चूचियों पर जमीं, जो ब्लाउज़ में फटने को तैयार थीं। “प्रिया, तेरी चूचियाँ कितनी मस्त हैं, निप्पल चूसने को तरस रहे हैं,” उसने कहा, और मेरा ब्लाउज़ फाड़ डाला। मेरी गोरी चूचियाँ नंगी हो गईं—भरी हुई, टाइट, और निप्पल सख्त होकर लंड माँग रहे थे। उसने मेरे एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे निप्पल को चाट रही थी, और मैं सिसक उठी, “जीजा जी, चूसो ज़ोर से, मेरी चूचियाँ लाल कर दो!” उसका दूसरा हाथ मेरी साड़ी में घुसा, और मेरी चिकनी बूर को पेटीकोट के ऊपर से मसला। “तेरी बूर चाटूँगा, फिर लंड पेलूँगा,” उसने कहा, और मेरा पेटीकोट खींचकर मेरी मोटी गांड और रसीली बूर नंगी कर दी। मैं चिल्लाई, “चाटो, मेरी बूर का पानी निकाल दो!” उसने मेरी जाँघें चौड़ी कीं, और उसकी गरम जीभ मेरी बूर को चूसने लगी। मैं तड़प उठी, “आह्ह! जीजा जी, चूसो, मेरी बूर फट रही है!”

मैं बिस्तर पर लेटी थी, मेरी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं, और गांड चुदाई के लिए तड़प रही थी। विकास ने अपना पजामा उतारा, और उसका मोटा लंड बाहर आया—लंबा, सख्त, और चुदाई की आग से भरा। “प्रिया, मेरा लंड चूस, फिर तेरी बूर और गांड फाड़ूँगा,” उसने हुक्म दिया। मैं घुटनों पर बैठी, और उसके लंड को अपने रसीले होंठों में लिया। “जीजा जी, तेरा लंड कितना मस्त है, चूसकर चूतड़ गीले कर रही हूँ,” मैं सिसक रही थी। उसने मेरे बाल पकड़े और बोला, “चूस रंडी, पूरा लंड गले में ले, फिर बूर में पेलूँगा!” उसका लंड मेरे मुँह में नाच रहा था, और मेरी बूर से पानी टपक रहा था। मैंने चिल्लाया, “चोदो मुझे, मेरी चूचियाँ और गांड तरस रही हैं!” उसने मुझे बिस्तर पर पटका, और मेरी मोटी गांड हवा में उठा दी। “तेरी गांड चोदूँगा, चूतड़ फाड़ूँगा,” उसने कहा, और मेरी गांड पर थूक लगाया। उसका लंड मेरी गांड के छेद पर रगड़ा, और एक धक्के में अंदर पेल दिया। “आह्ह! जीजा जी, मेरी गांड फट गई, चोदो ज़ोर से!” मैं चीख रही थी। उसने मेरे बाल खींचे और बोला, “चिल्ला रंडी, तेरी गांड चोदकर भोसड़ा बना दूँगा!”

कमरे में चुदाई की आग लग गई थी। विकास का लंड मेरी गांड में अंदर-बाहर हो रहा था, और मैं दर्द और मज़े में सिसक रही थी। “जीजा जी, मेरी चूचियाँ चूसो, बूर में लंड डालो!” मैंने चिल्लाया। उसने मुझे पलटा, और मेरी चिकनी बूर उसके सामने थी। “तेरी बूर फाड़ूँगा, चूतड़ चोदूँगा,” उसने कहा, और उसका लंड मेरी बूर पर रगड़ा। मैं चीखी, “चोदो! मेरी बूर में लंड पेलो, फाड़ दो!” उसका मोटा लंड मेरी बूर में घुसा, और एक ज़ोरदार धक्के से पूरा अंदर चला गया। “आह्ह! जीजा जी, चोदो ज़ोर से, मेरी बूर फट रही है!” मैं चिल्लाई। उसने मेरे निप्पल पकड़े और धक्के मारने लगा। “तेरी बूर चोदकर भोसड़ा बना दूँगा, रंडी की तरह चिल्ला!” उसका लंड मेरी बूर को चीर रहा था, और मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। मैं सिसक रही थी, “चूसो मेरे निप्पल, गांड में उंगली डालो!” उसने मेरे निप्पल चूसे, और उंगलियाँ मेरी गांड में नचाईं।

विकास ने मुझे घोड़ी बनाया, मेरी मोटी गांड और चूतड़ हवा में थे। “अब तेरी चूचियाँ और बूर एक साथ चोदूँगा,” उसने कहा। उसका लंड मेरी बूर में घुसा, और हाथ मेरी चूचियों को मसल रहे थे। “जीजा जी, चोदो! मेरी बूर फाड़ो, चूतड़ भोसड़ा बना दो!” मैं चीख रही थी। उसका लंड मेरी बूर को चीर रहा था, और मेरे निप्पल दर्द से लाल हो गए थे। “प्रिया, तेरी चुदाई मस्त है, रंडी की तरह चोदूँगा!” वो गरज रहा था। उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया, और मेरे होंठ चूसने लगा। “तेरे होंठ चूसकर चूतड़ चोदूँगा,” उसने कहा। मैं चिल्लाई, “चोदो, मेरी गांड और बूर का पानी निकाल दो!” उसने मेरी गांड में फिर लंड पेला, और मेरी चूचियाँ चूसने लगा। मैं तड़प रही थी, “जीजा जी, मेरी बूर में उंगली डालो, चोदो ज़ोर से!”

चुदाई का तूफान चल रहा था। विकास का लंड मेरी बूर और गांड को बारी-बारी चोद रहा था। “प्रिया, मेरा माल तेरी बूर में डालूँगा!” उसने कहा। मैं चीखी, “डालो, मेरी बूर भर दो, चोदो!” उसके धक्के तेज़ हुए, और उसका गरम माल मेरी बूर में छूट गया। “आह्ह! जीजा जी, मस्त चुदाई!” मैं चिल्लाई, और मेरा पानी भी बह निकला। वो मेरे ऊपर ढेर हो गया, उसका लंड मेरी बूर में धड़क रहा था। मेरी चूचियाँ लाल थीं, गांड जल रही थी, और होंठ सूख गए थे। उसने मेरे निप्पल चूमे और कहा, “प्रिया, तेरी सुहागरात चोदकर मज़ा आ गया। फिर चोदूँगा।” मैंने सिसकते हुए कहा, “जीजा जी, मुझे रंडी बनाकर चोदते रहो, मस्त लगता है।” हम हँसे, और सुहागरात की आग शांत हुई।