देवर ने वो मजा दिया जो पति ने कभी नहीं दिया

Devar Bhabhi Chudai Ki Kahani, Jo Pati Nahi Diya Devar Ne Diya – संध्या 32 की थी, लेकिन उसकी चूचियाँ इतनी सख्त और रसीली थीं कि साड़ी के ऊपर से भी उनकी गोलाई छुप नहीं पाती थी। उसकी गांड भारी और उभरी हुई थी, जो चलते वक्त लचकती थी, और उसके होंठ इतने गुलाबी और नरम थे कि कोई भी उन्हें चूसने को तरस जाए। आठ साल की शादी के बाद भी उसका पति रवि उसे बिस्तर पर ठंडा छोड़ देता था। उसका लंड छोटा और बेजान था, और संध्या की चूत की आग को बुझाने में नाकाम रहता था। वो रातें अधूरी थीं—संध्या अपनी चूचियों को मसलती, अपनी चूत को सहलाती, और अधमरी सी सो जाती।

फिर एक दिन घर में दाखिल हुआ अर्जुन—रवि का छोटा भाई। 30 साल का अर्जुन, लंबा, चौड़े सीने वाला, और उसकी टाइट जींस में उसका लंड साफ उभर रहा था। पहली मुलाकात में उसकी नजरें संध्या की चूचियों पर टिक गईं। “भाभी, आपकी चूचियाँ तो साड़ी में कैद शेरनी लगती हैं,” उसने बेशर्मी से कहा। संध्या के होंठ काँप गए, और उसकी चूत में एक गर्म लहर दौड़ गई। “अर्जुन, तुम्हारी जुबान बहुत तेज है,” उसने शरारत से कहा, लेकिन उसकी गांड में सिहरन उठ रही थी।

दिन गुजरते गए। रवि सुबह ऑफिस चला जाता, और घर में संध्या और अर्जुन अकेले रहते। संध्या अब जानबूझकर ऐसी साड़ियाँ पहनती जो उसकी चूचियों को बाहर धकेलतीं और उसकी गांड को टाइट कर देतीं। एक बारिश की शाम, रवि बाहर गया था। संध्या और अर्जुन छत पर थे। बारिश में संध्या की साड़ी भीग गई, उसकी चूचियाँ साड़ी से चिपककर साफ नजर आ रही थीं, उनके निप्पल उभर रहे थे। उसकी गांड की गोलाई हर कदम पर हिल रही थी। अर्जुन ने उसे देखा और बोला, “भाभी, आपकी चूचियाँ और गांड मुझे चोदने को मजबूर कर रही हैं। मेरा लंड अब रुक नहीं सकता।”

संध्या की साँसें तेज हो गईं। उसने अर्जुन की जींस पर उसका मोटा लंड देखा और अपने होंठ चाट लिए। “अर्जुन, रवि का लंड मुझे कभी गर्म नहीं कर सका,” वो फुसफुसाई। अर्जुन ने उसे दीवार से सटा दिया। उसने संध्या की साड़ी को खींचकर फेंक दिया, और उसकी चूचियाँ नंगी हो गईं। उसने अपनी उंगलियाँ संध्या की चूचियों पर घुमाईं, उनके सख्त निप्पल को मसला, और बोला, “भाभी, आपकी चूचियाँ इतनी रसीली हैं, इन्हें चूसकर मैं इनका सारा रस पी जाऊँगा।” संध्या की सिसकारी निकल गई। उसने अर्जुन की कमीज फाड़ दी और उसकी चौड़ी छाती पर अपने नाखून गड़ा दिए।

अर्जुन ने संध्या के होंठों को अपने होंठों से कुचल दिया। उसकी जीभ संध्या के रसीले होंठों को चाट रही थी, उन्हें चूस रही थी, और उसका एक हाथ संध्या की गांड को जोर से दबा रहा था। “भाभी, आपकी गांड इतनी गर्म और टाइट है, इसे चोदने का मजा ही अलग होगा,” उसने कहा। उसने संध्या की साड़ी को पूरी तरह उतार दिया, और उसकी नंगी गांड को अपने हाथों में थाम लिया। उसकी उंगलियाँ संध्या की जाँघों के बीच गईं, उसकी चूत को सहलाया, और वो गीली हो चुकी थी। “भाभी, आपकी चूत का ये रस मेरे लंड को बुला रहा है,” उसने कहा। संध्या चिल्लाई, “अर्जुन, मेरी चूत को चोद दो, मुझे वो सुख दो जो रवि ने कभी नहीं दिया।”

अर्जुन ने अपनी जींस उतारी, और उसका लंड बाहर आया—लंबा, मोटा, और सख्त, जैसे कोई हथियार। संध्या ने उसे देखा और अपनी चूत में जलन महसूस की। अर्जुन ने संध्या को छत की रेलिंग पर झुकाया, उसकी गांड को ऊपर उठाया, और अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ा। “भाभी, आपकी चूत को चोदकर मैं आपको पागल कर दूँगा,” उसने कहा। फिर उसने एक जोरदार धक्का मारा, और उसका लंड संध्या की चूत में पूरा घुस गया। संध्या की चीख निकल गई, “अर्जुन, तेरा लंड मेरी चूत को फाड़ रहा है, और जोर से चोद!”

अर्जुन ने संध्या की चुदाई शुरू कर दी। उसका लंड बार-बार संध्या की चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, हर धक्के के साथ उसकी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं। उसने संध्या की गांड को थपथपाया, उसकी चूचियों को मसला, और उनके निप्पल को चूसने लगा। “भाभी, आपकी चूत का रस मेरे लंड को गीला कर रहा है, और आपकी चूचियाँ मेरे मुँह में आग भर रही हैं,” उसने कहा। संध्या की सिसकारियाँ बारिश की आवाज को दबा रही थीं। वो चिल्लाई, “अर्जुन, मेरी गांड को सहलाओ, मेरी चूचियों को काटो, मेरी चूत को और चोदो!”

अर्जुन ने संध्या को घुमाया और उसे अपनी गोद में उठा लिया। उसने अपने लंड को फिर से संध्या की चूत में डाला और उसे जोर-जोर से चोदने लगा। उसका मुँह संध्या की चूचियों पर था, वो उन्हें चूस रहा था, उनके निप्पल को अपने दाँतों से काट रहा था, और उसकी जीभ उनके चारों ओर घूम रही थी। संध्या की गांड उसके हाथों में थरथरा रही थी, और उसकी चूत से रस टपक रहा था। “अर्जुन, तेरा लंड मेरी चूत में इतना गहरा जा रहा है, मुझे और चोद,” वो चीखी। अर्जुन ने और तेज धक्के मारे, उसका लंड संध्या की चूत की गहराई को छू रहा था। उसने संध्या की गांड को जोर से दबाया और बोला, “भाभी, आपकी गांड को भी चोदना चाहता हूँ।”

संध्या ने अपनी गांड को और ऊपर उठाया और बोली, “अर्जुन, मेरी गांड में अपना लंड डाल दो, मुझे पूरा जलाओ।” अर्जुन ने संध्या को नीचे लिटाया, उसकी गांड को ऊपर किया, और अपने लंड को उसकी टाइट गांड पर रगड़ा। उसने धीरे से धक्का मारा, और उसका लंड संध्या की गांड में घुस गया। संध्या की चीख निकल गई, “अर्जुन, मेरी गांड फट रही है, लेकिन और चोदो!” अर्जुन ने धक्के तेज किए, उसका लंड संध्या की गांड में बार-बार जा रहा था, और उसकी चूचियाँ हिल रही थीं। उसने एक हाथ से संध्या की चूत को सहलाया, और उसकी उंगलियाँ उसकी चूत के अंदर-बाहर होने लगीं।

संध्या का पूरा जिस्म काँप रहा था। उसकी चूत और गांड दोनों अर्जुन के लंड से भर गए थे। वो चिल्लाई, “अर्जुन, मेरी चूचियों को चूसो, मेरी चूत को चोदो, मेरी गांड को फाड़ो, मुझे पूरा खत्म कर दो!” अर्जुन ने संध्या की चूचियों को फिर से अपने मुँह में लिया, उन्हें जोर-जोर से चूसा, और उसका लंड संध्या की गांड में गहरे तक धक्के मार रहा था। संध्या की चूत से रस बह रहा था, और उसका जिस्म झटके खा रहा था। वो झड़ गई, उसकी चूत ने अर्जुन के लंड को जकड़ लिया। अर्जुन भी चिल्लाया, “भाभी, आपकी गांड और चूत ने मुझे पागल कर दिया,” और उसका गर्म रस संध्या की गांड में भर गया।

चुदाई के बाद दोनों नंगे ही छत पर पड़े थे। बारिश की बूँदें संध्या की चूचियों पर गिर रही थीं, उसकी गांड लाल हो गई थी, और उसके होंठ सूज गए थे। उसकी चूत और गांड में अभी भी अर्जुन के लंड की गर्मी थी। रवि की ठंडी रातों के मुकाबले अर्जुन ने उसकी चुदाई में वो आग भरी थी, जो उसे सालों से चाहिए थी। वो सोच रही थी कि ये चुदाई अभी खत्म नहीं हुई—अर्जुन का लंड उसे बार-बार अपनी चूत और गांड में चाहिए था।