बाबू जी की चुदाई से मेरी वासना शांत हुई

Sasur Bahu Sex Story Hot Chudai ki Kahani : मेरा नाम शालिनी है। मैं 30 साल की हूँ, एक सुंदर, सेक्सी और जवान औरत, जिसका जिस्म किसी को भी पागल कर दे। मेरा गोरा, चिकना बदन, बड़े-बड़े रसीले चूचियाँ जो साड़ी में उभरकर फटने को तैयार रहते हैं, और मोटी, गोल, भारी गांड जो चलते वक्त लचकती है, किसी भी मर्द का लंड खड़ा कर सकती हैं। मेरी चूत हमेशा गीली, गरम और भूखी रहती थी, और मेरी वासना इतनी तीव्र थी कि मैं बिना चुदे एक दिन भी नहीं रह सकती थी। मेरा पति, रमेश, 35 साल का था—लंबा, सांवला, लेकिन उसका 6 इंच का लंड मेरी चूत की वासना को शांत नहीं कर पाता था। रमेश अक्सर ऑफिस में व्यस्त रहता था, और मेरी कामुकता बढ़ती जा रही थी। मेरे बाबू जी, हरि प्रसाद, 60 साल के थे—लंबे, सांवले, और मज़बूत जिस्म वाले, जिनकी पैंट में मोटा, 10 इंच का लंड साफ उभरता था। उनकी चौड़ी छाती, खुरदुरी बाहें, और उनकी पैंट में उभरता लंड देखकर मेरी चूत टपकने लगती थी। मैंने कई बार उनकी नज़रों में मेरी चूचियों और गांड के लिए एक जंगली, कामुक भूख देखी थी। हमारा घर गाँव में था, जहाँ मैं, रमेश, और बाबू जी अक्सर अकेले रहते थे, क्योंकि मेरी सास, कमला, मंदिर में समय बिताती थीं।

एक दिन रमेश ने बताया, “शालिनी, मुझे 20 दिन के लिए मुंबई जाना है। तुम बाबू जी और सास के साथ रहना, मैं जल्दी आऊँगा।” मेरी चूत सुनते ही गरम हो गई। मैंने सोचा, “20 दिन बिना चुदे कैसे रहूँगी? मेरी चूत की वासना को मोटा लंड चाहिए, जो रमेश नहीं दे पाता। बाबू जी मेरी कामुकता शांत कर सकते हैं।” रमेश चला गया, और घर में सिर्फ मैं और बाबू जी थे। सास मंदिर गई थीं, और शाम को मैंने एक टाइट, लाल साड़ी पहनी थी, जिसमें मेरी चूचियाँ ब्लाउज़ से बाहर निकलने को बेताब थीं, और मेरी गांड का उभार साफ झलक रहा था। मेरे निप्पल सख्त होकर ब्लाउज़ में उभर रहे थे, और मेरी चूत गीली हो रही थी। बाबू जी हॉल में बैठे थे, और उनकी पैंट में उनका मोटा लंड तन गया। वो बोले, “शालिनी, तू तो माल है। मेरी लंड तुझसे तड़प रही है।” मेरी चूत गीली हो गई, और मैं सिसकी, “बाबू जी, ये गलत है… लेकिन मेरी चूत की वासना को मोटा लंड चाहिए, जो रमेश नहीं दे पाता। आप मेरी कामुकता शांत कर सकते हैं।”

बाबू जी उठे, और उनके हाथ मेरी साड़ी के पल्लू पर गए। वो बोले, “शालिनी, मेरी लंड तेरी चूत को फाड़ देगी। आज तेरी चूत और गांड को मेरा मोटा लंड चोदेगा, और तेरी वासना शांत होगी।” मैं शरमाई, लेकिन मेरी चूत टपकने लगी। वो मेरे पास आए, और मेरी साड़ी का पल्लू खींचकर फेंक दिया। मेरी मोटी, रसीले चूचियाँ ब्लाउज़ से बाहर उछल पड़ीं, गोल, सख्त, और निप्पल लाल, उभरे हुए। बाबू जी बोले, “शालिनी, तेरे चूचियाँ तो चूसने लायक हैं!” उसने मेरी एक चूची को अपने मज़बूत, खुरदुरी हाथ में लिया और ज़ोर से दबाया। उनकी उंगलियाँ मेरे निप्पल को मसल रही थीं, और उनकी गर्म, गीली जीभ मेरी चूची पर घूम रही थी। मैं सिसक उठी, “आह… बाबू जी, मेरे चूचियाँ चूस डालो… फाड़ डालो इनको… मेरी कामुकता बढ़ रही है!” उसने मेरी दूसरी चूची को अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। उनके दाँत मेरे निप्पल को काटते, और मेरी चूत टपकने लगी। मैंने उनकी धोती खींची, और उनका 10 इंच का मोटा, काला लंड बाहर लहराने लगा, नसें उभरी हुई और सुपारा लाल, चमकदार। मैं बोली, “बाबू जी, ये तो मेरी चूत फाड़ देगा!”

बाबू जी ने मेरी साड़ी, ब्लाउज़, और सलवार एक झटके में फाड़ दी। मेरी नंगी चूचियाँ हवा में लटक रही थीं, और मेरी गांड साफ दिख रही थी। उसने मेरी पैंटी उतारी। मेरी चूत नंगी थी—गीली, गुलाबी, और गरम, उसकी हर सिलवट पानी से चमक रही थी। मेरी गांड का उभार चिकना, मोटा था। बाबू जी बोले, “शालिनी, तेरी चूत तो चुदने लायक है… मखमली, गीली, और रसीली!” उसने अपनी उंगलियाँ मेरी चूत में डालीं, और मैं चिल्ला उठी, “आह… बाबू जी, मेरी चूत में आग लग रही है… मेरी वासना बढ़ रही है!” उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर फेरी, और मैं पागल हो गई। वो बोले, “तेरी चूत का स्वाद गज़ब है… गरम, रसीला, और कामुक!” उसने मेरी चूत को अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। उसकी गर्म जीभ मेरे चूत के दाने को रगड़ रही थी, और मेरी गांड उछल रही थी। मैं चीखी, “बाबू जी, मेरी चूत चाट डालो… मेरी वासना शांत करो… अब चोद डालो!”

बाबू जी ने मुझे सोफे पर लिटाया। मेरी टाँगें चौड़ी कीं, और उसने अपना मोटा लंड मेरी चूत पर रगड़ा। उसका सुपारा मेरी चूत की फाँकों को चीर रहा था। मैं तड़प रही थी, “डाल दे, बाबू जी… मेरी चूत को चोद डालो… मेरी वासना शांत करो!” उसने एक ज़ोरदार झटका मारा, और उसका मोटा लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया। मेरी चूत टाइट थी, और मैं चीख पड़ी, “आह… मेरा हो गया… मेरी चूत फट गई… मेरी वासना बढ़ रही है!” बाबू जी ने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे, और मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। उसका मोटा लंड मेरी चूत को रगड़ रहा था, और फच-फच की गीली आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मेरे चूचियाँ हवा में लटककर हिल रहे थे, और बाबू जी ने उन्हें अपने मज़बूत हाथों से मसला। मैं सिसक रही थी, “चोद… और जोर से चोद… मेरी चूत को फाड़ डाल… मेरी वासना शांत करो!”

बाबू जी ने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी मोटी, गोल गांड उनके सामने थी, चिकनी और उभरी हुई। उन्होंने मेरी गांड पर चार ज़ोरदार थप्पड़ मारे, और मेरी गांड लाल होकर हिलने लगी। वो बोले, “शालिनी, तेरी गांड भी चोदूँगा… इसे मेरे मोटा लंड से फाड़ दूँगा… तेरी वासना को शांत करूँगा!” मैं सिसकते हुए बोली, “चोद दे, बाबू जी… मेरी गांड फाड़ डाल… मेरी कामुकता शांत करो!” उन्होंने अपने मोटा लंड पर थूक और तेल लगाया, फिर मेरी गांड में धीरे से डाला। मेरी गांड टाइट थी, और मैं चीख पड़ी, “आह… मेरी गांड फट गई… मेरी वासना बढ़ रही है!” बाबू जी ने हार्डकोर स्टाइल में ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे, और मेरी गांड को चोदा। मेरी चूचियाँ हिल रही थीं, और मेरी चूत टपक रही थी। उनकी चुदाई से मेरा जिस्म काँप रहा था। मैं चिल्लाई, “बाबू जी, मेरी चूत और गांड दोनों फाड़ डाल… मेरी वासना शांत करो!”

रात गहराई, और बाबू जी ने मुझे बेडरूम में ले जाया। उन्होंने मुझे बिस्तर पर पटका, और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं। मेरी चूत और गांड दोनों उनके सामने खुली थीं। उन्होंने मेरी चूत में मोटा लंड पेला, और मैं चिल्लाई, “आह… बाबू जी, मेरी चूत को हार्डकोर से चोद डाल… इसे फाड़ डाल… मेरी वासना शांत करो!” उनका मोटा लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। उन्होंने मेरे चूचियाँ अपने मुँह में लिए और चूसने लगा। मैं सिसक रही थी, “चोद… और जोर से चोद… मेरी चूत और गांड दोनों हार्डकोर से फाड़ डाल… मेरी कामुकता शांत करो!” बाबू जी ने मेरी गांड में उंगली डाली, और मैं चीखी, “मेरी गांड में मोटा लंड डाल, इसे हार्डकोर से भोसड़ा बना डाल… मेरी वासना शांत करो!” उन्होंने मेरी गांड में मोटा लंड ठूंस दिया, और मेरी चीखें कमरे में गूँजने लगीं। उनकी हार्डकोर चुदाई से मेरा जिस्म पागल हो गया।

बाबू जी ने मुझे बाथरूम में ले जाया। शावर चालू था, और पानी हमारे नंगे जिस्मों पर पड़ रहा था। मेरी चूचियाँ पानी से चमक रही थीं, और मेरी गांड गीली होकर और रसीली लग रही थी। उन्होंने मुझे दीवार से सटाया और मेरी चूत में मोटा लंड पेला। मैं चिल्लाई, “आह… बाबू जी, मेरी चूत को हार्डकोर से चोद डाल… इसे फाड़ डाल… मेरी वासना शांत करो!” उनका मोटा लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था, और पानी मेरे चूचियों पर टपक रहा था। वो बोले, “शालिनी, तेरी चूत मेरे मोटा लंड की गुलाम है… इसे हार्डकोर से फाड़ दूँगा… तेरी वासना शांत होगी!” मैं सिसकी, “चोद… और जोर से चोद… मेरी चूत और गांड दोनों हार्डकोर से फाड़ डाल… मेरी कामुकता शांत करो!”

सुबह हुई, और मैं बाबू जी की बाहों में नंगी पड़ी थी। मेरी चूत सूजकर लाल हो गई थी, गांड फटकर दर्द से काँप रही थी, और मेरे चूचियाँ नीले पड़ गए थे। वो बोले, “शालिनी, तेरी चूत और गांड मेरे मोटा लंड की गुलाम हैं। मैंने तेरी वासना शांत कर दी।” मैंने उसके मोटा लंड को मुँह में लिया और चूसते हुए बोली, “बाबू जी, मेरी चूत को फिर हार्डकोर से चोद, इसे फाड़ डाल… मेरी गांड को भी हार्डकोर से भोसड़ा बना डाल… आपने मेरी वासना शांत की, लेकिन मेरी कामुकता अभी भी तड़प रही है!” हमने सुबह की गरम, हार्डकोर चुदाई शुरू की, और यह एक वाइल्ड, हॉट, और कामुक रात और सुबह थी, जो कभी खत्म नहीं हुई। मेरी वासना शांत हुई, लेकिन मेरी चूत बाबू जी के मोटा लंड की गुलाम हो गई।