भाभी को ट्रेन में चोदा – देवर भाभी ट्रेन सेक्स स्टोरी

Train Me Bhabhi ki Chudai Devar Bhabhi Sex Story – मेरा नाम रवि है, और मैं 24 साल का हूँ। मेरी भाभी, रानी, 28 साल की है—गोरी, भरे हुए चूचे, और मोटी गांड वाली। भाभी की टाइट सलवार-कुर्ती में उभरता बदन मुझे हमेशा तड़पाता था। मेरा भाई एक बिजनेसमैन है, और वह अक्सर बाहर रहता है। इस बार भाभी और मुझे एक रिश्तेदार की शादी के लिए दिल्ली से लखनऊ ट्रेन से जाना था। हमने रात की ट्रेन पकड़ी, और हमारी बर्थ साइड लोअर और साइड अपर थी। ट्रेन में भीड़ थी—हमारे सामने वाली बर्थ पर एक परिवार था, जिसमें एक अंकल, आंटी, और उनका छोटा बच्चा सो रहा था। ऊपर वाली बर्थ पर दो लड़के थे, जो हेडफोन लगाकर गाने सुन रहे थे। हवा में एक अजीब सा रोमांच था।

रात के 10 बजे ट्रेन चल पड़ी। भाभी ने हल्की सी साड़ी पहनी थी, जिसमें उनकी नाभि और चूचों की उभार साफ़ दिख रहे थे। “रवि, मुझे नींद आ रही है, मैं ऊपर वाली बर्थ पर सोती हूँ,” भाभी ने कहा। मैंने हँसते हुए कहा, “भाभी, आप ऊपर चढ़ जाओ, मैं नीचे हूँ।” लेकिन ट्रेन की हलचल में भाभी का बैलेंस बिगड़ा, और वह मेरे ऊपर गिर पड़ी। उनके चूचे मेरी छाती से दब गए। “आह्ह, भाभी, आप तो गिर पड़ीं!” मैंने धीरे से कहा, ताकि सामने वाले अंकल-आंटी न सुनें। भाभी ने शरमाते हुए फुसफुसाया, “रवि, तुमने तो मुझे पकड़ लिया, ना?”

मैंने भाभी को नीचे वाली बर्थ पर बिठाया। “भाभी, आप यहाँ सो जाओ, मैं ऊपर चला जाऊँगा,” मैंने धीरे से कहा। लेकिन भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया। “रवि, मुझे डर लग रहा है, तुम यहीं रुको,” उन्होंने फुसफुसाया। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। मैं उनके पास बैठ गया। भाभी की साड़ी का पल्लू सरक गया, और उनके चूचे मेरे सामने चमकने लगे। “भाभी, आप बहुत हॉट लग रही हो,” मैंने धीरे से कहा, ताकि कोई न सुन ले। भाभी ने मेरी आँखों में देखा और फुसफुसाया, “रवि, तुम भी तो मस्त हो, भाई को बताना मत।”

मेरा लंड खड़ा हो गया। ट्रेन में हल्की रोशनी थी, और सामने वाले अंकल-आंटी सो रहे थे। ऊपर वाले लड़के हेडफोन लगाकर अपने मोबाइल में व्यस्त थे। मैंने भाभी को अपनी बाहों में खींच लिया। “भाभी, आपकी चूत को आज चोदूँगा,” मैंने उनके कान में फुसफुसाया। मैंने धीरे से उनकी साड़ी का पल्लू खींचा, ताकि कोई आवाज़ न हो। उनके चूचे नंगे हो गए। “क्या मस्त चूचे हैं, भाभी,” मैंने धीरे से कहा और एक निप्पल को मुँह में भर लिया। “आह्ह, रवि, चूसो,” भाभी ने सिसकी, लेकिन अपनी आवाज़ दबाकर। मैंने उनकी साड़ी धीरे-धीरे उतार दी, ताकि बर्थ की चादर न हिले।

भाभी नंगी होकर बर्थ पर लेट गईं। “रवि, मेरी चूत को चाटो,” उन्होंने फुसफुसाया और अपनी टाँगें फैला दीं। मैंने चादर से हमें ढक लिया, ताकि कोई देख न सके। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर फेर दी। “आह्ह, रवि, चाटो,” भाभी ने धीरे से सिसकी। उनकी चूत से रस टपक रहा था, लेकिन मैंने चादर के नीचे ही चाटना जारी रखा। “भाभी, आपकी चूत का स्वाद गज़ब है,” मैंने फुसफुसाया और अपनी पैंट धीरे से उतार दी। मेरा मोटा लंड बाहर निकला। “रवि, ये तो बहुत बड़ा है, मेरी चूत फट जाएगी!” भाभी ने डरते हुए फुसफुसाया। मैंने कहा, “भाभी, धीरे से चोदूँगा, किसी को पता नहीं चलेगा।”

मैंने चादर के नीचे भाभी की चूत पर लंड रगड़ा। “पहले आपकी चूत चोदूँगा,” मैंने फुसफुसाया और धीरे से एक धक्का मारा। “आह्ह,” भाभी ने सिसकी, लेकिन अपनी आवाज़ दबाकर। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए, ताकि बर्थ न हिले। “भाभी, आपकी चूत तो मेरे लंड को निगल रही है,” मैंने फुसफुसाया। उनकी गांड हल्के-हल्के हिल रही थी। “रवि, और चोद, मेरी प्यास बुझा दे,” भाभी ने धीरे से कहा। उनकी चूत से रस टपक रहा था, लेकिन चादर ने सब छुपा लिया।

ट्रेन की रफ्तार और हमारी चुदाई का नशा चरम पर था। मैंने भाभी को चादर के नीचे कुतिया बनाया। “अब आपकी गांड में लंड डालूँगा,” मैंने फुसफुसाया और उनकी गांड पर हल्का सा थप्पड़ मारा। “रवि, धीरे से, कोई सुन न ले,” भाभी ने कहा। मैंने अपना मोटा लंड उनकी गांड में धीरे-धीरे पेल दिया। “आह्ह,” भाभी ने सिसकी, लेकिन अपनी साँसें रोककर। मैंने धीरे-धीरे धक्के बढ़ाए। “भाभी, आपकी गांड बहुत टाइट है,” मैंने फुसफुसाया। उनकी चूत से रस बह रहा था, और मैंने अपनी उंगलियाँ उनकी चूत में डाल दीं। “रवि, मेरी चूत और गांड दोनों को चोदो,” भाभी ने धीरे से सिसकी।

चुदाई का खेल बढ़ गया। मैंने भाभी को चादर के नीचे लिटाया और उनके ऊपर चढ़ गया। “अब आपकी चूत को गहरा चोदूँगा,” मैंने फुसफुसाया और लंड उनकी चूत में धीरे से ठोक दिया। “आह्ह, रवि,” भाभी ने सिसकी, लेकिन अपनी आवाज़ दबाकर। मेरा लंड उनकी चूत की गहराई तक जा रहा था। “भाभी, आपकी चूत को चोद-चोद कर ढीली कर दूँगा,” मैंने फुसफुसाया और उनके चूचों को हल्के से मसला। “चोदो मुझे, रवि,” उनकी सिसकियाँ धीरे-धीरे तेज़ हो गईं, लेकिन चादर और ट्रेन की आवाज़ ने सब छुपा लिया।

ट्रेन की खिड़की से ठंडी हवा आ रही थी। मैंने भाभी को खिड़की के पास सटा दिया, लेकिन चादर से ढके रहकर। “भाभी, आपके होंठ चूसूँगा,” मैंने फुसफुसाया और उनके होंठ चूसने लगा। “आह्ह, रवि, धीरे से,” भाभी ने कहा। मैंने उनके होंठों को हल्के से काटा और कहा, “भाभी, आपके होंठ तो शहद हैं।” भाभी ने मेरा लंड पकड़ा और चादर के नीचे मसलते हुए कहा, “रवि, मेरी चूत को फिर चोदो!” मैंने उन्हें बर्थ पर पटका और उनकी चूत में लंड धीरे से ठोका। “आपकी चूत और गांड दोनों को रस से भर दूँगा,” मैंने फुसफुसाया। “चोदो, रवि,” भाभी ने धीरे से कहा।

रात गहराने लगी। मैंने भाभी को बर्थ के किनारे लिटाया। “भाभी, आपकी चूत को चाटूँगा,” मैंने फुसफुसाया और चादर के नीचे उनकी चूत चूसने लगा। “आह्ह, रवि, चूसो,” भाभी ने धीरे से सिसकी। मैंने उनके चूचों को हल्के से मसलते हुए कहा, “भाभी, आपके चूचे रस से भरे हैं।” भाभी ने मेरा लंड पकड़ा और चादर के नीचे मुँह में लिया। “रवि, तुम्हारा लंड चूसूँगी,” उन्होंने फुसफुसाया और जीभ से लंड को चाटने लगी। “आह्ह, भाभी,” मैंने धीरे से सिसकी।

सुबह होने को थी। ट्रेन लखनऊ के करीब पहुँच रही थी। मैंने भाभी को चादर के नीचे अपनी गोद में बिठाया। “भाभी, अब आपकी गांड फिर चोदूँगा,” मैंने फुसफुसाया और उन्हें उल्टा कर दिया। “रवि, धीरे से,” भाभी ने कहा। मैंने उनकी गांड में लंड धीरे से पेल दिया। “आह्ह,” उनकी सिसकियाँ धीरे-धीरे गूँज रही थीं, लेकिन चादर और ट्रेन की आवाज़ ने सब छुपा लिया। “भाभी, आपकी गांड मेरे लंड की गुलाम है,” मैंने फुसफुसाया। उनकी चूत से रस टपक रहा था। “चोदो मुझे, रवि,” भाभी ने धीरे से कहा।

आख़िर में मेरा लंड फट पड़ा। मेरा गरम रस भाभी की चूत में भर गया, फिर उनकी गांड में, और बाक़ी उनके चूचों पर छिड़क गया। “आह्ह, रवि, धीरे से,” भाभी ने फुसफुसाया। मैंने चादर से सब साफ़ कर दिया। हम दोनों हाँफते हुए बर्थ पर लेट गए। “रवि, इस ट्रेन ने हमें नया रिश्ता दे दिया,” भाभी ने हँसते हुए फुसफुसाया। “भाभी, हर सफर अब ऐसा ही होगा,” मैंने जवाब दिया। ट्रेन की चुदाई की गर्मी हमारे जिस्म में समा गई थी, और किसी को कुछ पता नहीं चला।