मेरा नाम पूजा है, उम्र 26 साल। मैं एक ऐसी औरत हूँ जिसे देखकर हर मर्द की साँसें थम जाएँ। मेरा रंग गोरा है, चूचियाँ बड़ी, रसीली और उभरी हुई, गांड मोटी, गोल और थिरकती हुई, और मेरी कमर इतनी पतली कि उस पर हाथ फेरने का मन करे। मेरे होंठ गुलाबी और मांसल हैं, और मेरी आँखों में एक नशीली चमक है जो किसी को भी अपनी ओर खींच लेती है। मैं बहुत हॉट हूँ, और मुझे चुदाई बहुत पसंद है। मेरी शादी अजय से हुई थी, जो फौज में है। वो साल में सिर्फ एक-दो बार घर आता है, और बाकी वक्त मैं अकेली रहती हूँ। मेरे ससुर, रमेश जी, उम्र 55, मेरे साथ ही घर में रहते हैं। वो मज़बूत और रौबीले हैं, और उनकी मर्दानगी मेरे लिए एक तड़प बन गई थी। ये कहानी उस रात की है जब उंगली से संतुष्टि नहीं मिली, और मैंने ससुर के साथ सेक्स किया।
हमारा घर एक छोटे से शहर में है। अजय जब फौज में भर्ती हुआ, तो मैं उसके साथ कुछ महीने रही, लेकिन फिर वो बॉर्डर पर चला गया। मैं ससुराल आ गई, और रमेश जी के साथ रहने लगी। शुरू में सब ठीक था। अजय जब घर आता, वो मुझे रातभर चोदता। उसका लंड मोटा और सख्त था, और उसकी ठापों से मेरी चूत की आग बुझ जाती थी। लेकिन वो जब जाता, मैं तड़पने लगती। रात को मैं अकेले बिस्तर पर लेटती, और मेरी चूत में खुजली होने लगती। मैं अपनी उंगली से खुद को शांत करने की कोशिश करती। मैं अपनी चूत में उंगली डालती, उसे अंदर-बाहर करती, और सिसकती, “उफ्फ… अजय, मुझे चोद दो!” लेकिन उंगली से वो मज़ा नहीं मिलता जो एक मर्द का लंड देता है। मेरी तड़प बढ़ती गई, और मैं हर रात बेचैन रहने लगी।
रमेश जी मेरे साथ घर में थे। वो दिनभर खेतों में काम करते, और रात को घर आते। उनकी मज़बूत कद-काठी और रौबीली आवाज़ मुझे अजीब सा आकर्षण देती थी। जब वो घर में लुंगी और बनियान में घूमते, उनकी चौड़ी छाती और मज़बूत बाँहें देखकर मेरे मन में गंदे ख्याल आते। मैं उनकी तरफ देखती, और मेरी चूत गीली हो जाती। वो भी मुझे घूरते थे। जब मैं साड़ी पहनती, मेरा ब्लाउज़ मेरी चूचियों को कसकर पकड़े रहता, और मेरी गांड साड़ी में थिरकती थी। रमेश जी की नज़रें मेरे जिस्म पर टिक जातीं, और मैं शरम से लाल हो जाती, लेकिन अंदर से मुझे उनकी वो नज़रें अच्छी लगती थीं।
एक रात की बात है। अजय को गए छह महीने हो चुके थे। मैं अपने कमरे में थी, और मेरी चूत में फिर से आग लगी थी। मैंने एक पतली नाइटी पहनी थी, जो मेरे शरीर से चिपककर मेरी चूचियों और गांड को उभार रही थी। रात के 11 बजे मैं बिस्तर पर लेटी थी, और मेरी उंगलियाँ मेरी चूत में थीं। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… कोई तो मुझे चोद दे!” मैंने अपनी चूत में दो उंगलियाँ डालीं, और ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर करने लगी। मेरी सिसकियाँ तेज़ हो गईं, “आह्ह… अजय, कहाँ हो तुम!” लेकिन उंगली से वो संतुष्टि नहीं मिली जो मुझे चाहिए थी। मैं तड़प रही थी, और मेरे शरीर में एक ज्वालामुखी फट रहा था।
तभी मेरा दरवाज़ा खुला, और रमेश जी अंदर आ गए। वो सिर्फ लुंगी में थे, और उनकी मज़बूत छाती चाँदनी में चमक रही थी। उन्होंने मुझे उंगली करते देख लिया। मैं शरम से मर गई, और जल्दी से चादर ओढ़ ली। वो मेरे पास आए और बोले, “पूजा, ये क्या कर रही हो?” मैंने हिचकते हुए कहा, “ससुर जी, मुझे नींद नहीं आ रही थी।” वो हँसे और बोले, “मुझे सब पता है, पूजा। अजय नहीं है, और तू तड़प रही है।” उनकी बातों ने मेरे अंदर की आग को और भड़का दिया। मैं चुप रही, लेकिन मेरी साँसें तेज़ हो गईं। वो मेरे पास बैठ गए और मेरे कंधे पर हाथ रखा। उनकी गर्म छुअन ने मुझे सिहरन से भर दिया।
उन्होंने मेरी चादर हटाई और मेरी नाइटी के ऊपर से मेरी चूचियों को दबाया। मैं सिसक उठी, “आह्ह… ससुर जी, ये क्या कर रहे हैं?” वो बोले, “पूजा, तुझे वो मज़ा दूँगा जो अजय नहीं दे पाया।” उनकी मज़बूत पकड़ ने मुझे पागल कर दिया। मैंने कुछ नहीं कहा, और वो मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उनका चुम्बन सख्त और गर्म था, और मैं उनके होंठ चूसने लगी। उनकी जीभ मेरे मुँह में घूम रही थी, और मेरे शरीर में आग लग गई थी। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… ससुर जी, कितना मज़ा आ रहा है!” उन्होंने मेरी नाइटी फाड़ दी, और मेरी नंगी चूचियाँ उनके सामने थीं। मेरे निप्पल सख्त और गुलाबी थे, और उन्होंने एक चूची को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… ससुर जी, चूसिए इसे, मुझे जलन हो रही है!”
उनकी जीभ मेरे निप्पल पर नाच रही थी, और उनका दूसरा हाथ मेरी दूसरी चूची को मसल रहा था। मेरी चूत गीली हो गई थी, और मैं तड़प रही थी। मैंने उनकी लुंगी खींच दी, और उनका मोटा लंड मेरे सामने था। उम्र के बावजूद उनका लंड काला, लंबा और सख्त था। मैंने उसे हाथ में लिया और सहलाने लगी। वो सिसक उठे, “उफ्फ… पूजा, तू बहुत गर्म है!” मैंने उनका लंड अपने होंठों से चूमा और उसे मुँह में ले लिया। उनका लंड मेरे गले तक जा रहा था, और मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से चूस रही थी। वो चीख रहे थे, “आह्ह… पूजा, कितना मज़ा दे रही हो!” मैं उनका लंड चूसती रही, और मेरी जीभ उनके टोपे पर नाच रही थी।
उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी जाँघों को फैलाया। मेरी चूत उनके सामने थी, चिकनी और गीली। उन्होंने मेरी चूत पर अपनी उंगली फिराई, और मैं सिसक उठी, “आह्ह… ससुर जी, अंदर डालिए!” उन्होंने अपनी उंगली मेरी चूत में डाल दी, और मैं चीख रही थी, “उफ्फ… और करिए!” फिर उन्होंने अपना मोटा लंड मेरी चूत के मुँह पर रखा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… ससुर जी, मेरी चूत फट गई!” वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मारने लगे, और मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। मैं सिसक रही थी, “और ज़ोर से, मुझे चोद डालिए!” उनकी ठापों से मेरा पूरा शरीर हिल रहा था, और मेरी चूत से रस बह रहा था।
उन्होंने मेरी चूचियों को पकड़ा और उन्हें मसलने लगा। मैं चीख रही थी, “उफ्फ… ससुर जी, मेरी चूचियाँ दबाइए, मुझे जलन चाहिए!” उन्होंने मेरे निप्पल काटे, और मैं तड़प उठी, “आह्ह… और करिए!” उनकी ठापों से कमरा गूँज रहा था, और मेरी सिसकियाँ तेज़ हो रही थीं। कुछ देर बाद उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी गांड उनके सामने ऊँची हो गई, और उन्होंने मेरी गांड पर हाथ फेरा। वो बोले, “पूजा, तेरी गांड बहुत मस्त है।” मैं सिसकते हुए बोली, “ससुर जी, इसे भी चोद दीजिए!” उन्होंने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी गांड में डाल दिया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… ससुर जी, मेरी गांड फट गई!”
वो मेरी गांड में ठाप मारने लगे, और मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… और ज़ोर से, मुझे दर्द चाहिए!” उन्होंने मेरी गांड पर थप्पड़ मारे, और मैं चीख रही थी, “आह्ह… मारिए और, मेरी गांड लाल कर दीजिए!” उनकी ठापों से मेरी गांड जल रही थी, और मेरी चूत से रस टपक रहा था। फिर उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठाया और मेरी चूत में ठाप मारने लगे। मैं उनके कंधों पर थी और चीख रही थी, “आह्ह… ससुर जी, मुझे उड़ा दीजिए!” उन्होंने मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदा, और उनकी ठापों से मेरा पूरा शरीर काँप रहा था। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… ससुर जी, आपका लंड बहुत मस्त है!”
उन्होंने मुझे बिस्तर पर पटक दिया और मेरी चूत में फिर से ठाप मारनेlager। मैं चीख रही थी, “ससुर जी, मेरी चूत फाड़ दीजिए!” उनकी ठापों से बिस्तर हिल रहा था, और मेरी सिसकियाँ आसमान तक जा रही थीं। कुछ देर बाद उन्होंने मुझे घोड़ी बनाकर मेरी गांड में फिर से ठाप मारी। मैं सिसक रही थी, “आह्ह… ससुर जी, मेरी गांड जल रही है!” उन्होंने मेरी गांड पर थप्पड़ मारे, और मैं चीख रही थी, “उफ्फ… और मारिए!” उनकी ठापों से मेरी गांड लाल हो गई थी, और मेरी चूत से रस बह रहा था। मैंने कहा, “ससुर जी, मेरे मुँह में डालिए!” उन्होंने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया, और मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। वो सिसक रहे थे, “आह्ह… पूजा, तेरा मुँह बहुत गर्म है!”
आखिर में उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी चूत में ठाप मारने लगे। मैं सिसक रही थी, “ससुर जी, मुझे चोद डालिए!” वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मार रहे थे, और मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। उन्होंने कहा, “पूजा, मैं झड़ने वाला हूँ!” मैं चीख रही थी, “ससुर जी, मेरी चूत में झड़ जाइए!” उन्होंने तेज़ ठाप मारी, और उनका गर्म माल मेरी चूत में भर गया। मैं काँपते हुए बिस्तर पर गिर पड़ी, और वो मेरे ऊपर ढेर हो गए। हम दोनों हाँफ रहे थे, और मेरा शरीर पसीने और रस से भीगा हुआ था।
उन्होंने मेरे कान में फुसफुसाया, “पूजा, तू बहुत हॉट है।” मैं हँसते हुए बोली, “ससुर जी, आपने मेरी आग बुझा दी।” उस रात के बाद जब भी मैं अकेली होती हूँ, ससुर जी मेरे बिस्तर पर आते हैं। अजय को कुछ पता नहीं, और मैं ससुर जी की ठापों से अपनी चुदाई की भूख मिटाती हूँ। ये हमारा गुप्त रिश्ता है, जो मेरी तड़प को शांत करता है।