Bhai Bahan Sex Story Bahan ko Akeli Dekhkar Bhai Ne Choda – हाय दोस्तों, मेरा नाम नेहा है। उम्र 22 साल, गोरा रंग, मोटी चूचियाँ जो मेरे टाइट कुर्ते में मुश्किल से समाती थीं, और एक गोल, रसीली गांड जो मेरे भैया, रवि, की नजरों का निशाना बन गई थी। मैं कॉलेज में पढ़ती थी, और मेरा बदन ऐसा था कि लड़के मुझे देखकर अपने लंड सहलाने लगते थे। लेकिन ये कहानी मेरे और मेरे भैया की है। रवि 25 साल का था—लंबा, गठीला, और एक ऐसा मोटा, काला लंड जो मेरी चूत को देखते ही सख्त हो जाता था। हम दोनों एक ही घर में रहते थे, और शुरू में हमारा रिश्ता वही पुराना भाई-बहन वाला था। लेकिन उस दिन जब मैं अकेली थी, भैया ने मुझे ऐसा जमकर चोदा कि मेरी चूत की सारी प्यास बुझ गई। मेरी ये कहानी मेरी सेक्स कहानी डॉट कॉम के लिए है, तो तैयार हो जाइए एक हॉट और सेक्सी रोलरकोस्टर के लिए!
उस दिन शाम का वक्त था। आसमान में बादल छाए थे, और बारिश की हल्की-हल्की बूंदें गिर रही थीं। मम्मी-पापा किसी रिश्तेदार के यहाँ गए थे, और घर में सिर्फ मैं और भैया थे। मैं अपने कमरे में लेटी थी। गर्मी की वजह से मैंने एक पतली सी नाइटी पहनी थी, जो मेरे जिस्म से चिपक रही थी। मेरी चूचियाँ नाइटी से बाहर उभर रही थीं, और मेरे निप्पल साफ दिखाई दे रहे थे। मेरी गोरी जांघें हर हलचल पर नजर आ रही थीं, और मैं बिस्तर पर फोन स्क्रॉल कर रही थी। तभी भैया चुपके से मेरे कमरे में घुस आए। “नेहा, अकेली क्या कर रही है?” उनकी आवाज में एक अजीब-सी शरारत थी। मैं चौंक गई, “भैया, आप यहाँ? कुछ चाहिए क्या?” लेकिन उनकी नजरें मेरी चूचियों पर टिकी थीं। वो मेरे पास बिस्तर पर बैठ गए और मेरी जांघ पर हाथ रख दिया। “नेहा, तू तो बड़ी मस्त हो गई है। अकेली पड़ी है, सोचा तेरे साथ थोड़ी मस्ती कर लूँ,” उन्होंने मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा। उनकी गर्म साँसें मेरे गले पर लगीं, और मेरे जिस्म में एक सनसनी दौड़ गई।
मैंने उन्हें हल्के से धक्का देना चाहा, “भैया, ये क्या कर रहे हो? मैं आपकी बहन हूँ।” लेकिन वो मेरे और करीब आए, और उनका हाथ मेरी चूचियों पर सरक गया। “बहन हो तो क्या, नेहा। तेरी ये चूचियाँ और गांड मुझे रातभर तड़पाती हैं,” उन्होंने कहा और मेरी नाइटी के ऊपर से मेरी चूचियों को दबाने लगे। “उफ्फ… भैया… मत करो… ये गलत है…” मैं सिसकार उठी। लेकिन सच कहूँ, उनकी छुअन से मेरी चूत में कुछ गीला होने लगा था। उन्होंने मेरी नाइटी ऊपर उठाई और मेरी चूचियों को नंगी कर दिया। मेरे गोरे, मोटे दूध उनके सामने थे, और मेरे निप्पल सख्त होकर उन्हें ललचा रहे थे। “आह्ह्ह… नेहा… तेरी चूचियाँ कितनी मस्त हैं… इन्हें चूसने का मन कर रहा है,” उन्होंने कहा और मेरी एक चूची को मुँह में भर लिया। “उफ्फ… भैया… धीरे चूसो… मेरी चूचियाँ दुख रही हैं… आह्ह्ह…” मैं कराह रही थी। उनकी जीभ मेरे निप्पल पर घूम रही थी, और उनकी उंगलियाँ मेरी दूसरी चूची को मसल रही थीं।
मैं तड़प रही थी। मेरी चूत में आग लग रही थी, और मैंने उनकी शर्ट पकड़ ली। “आह्ह्ह… भैया… क्या कर रहे हो… उफ्फ…” मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं। उन्होंने मेरी नाइटी पूरी उतार दी, और मेरा नंगा बदन उनके सामने था। मेरी गोरी जांघें, मेरी चिकनी चूत, और मेरी मोटी गांड उन्हें बुला रही थी। “नेहा, तू तो पूरी माल है। तेरी चूत को देखकर मेरा लंड तड़प रहा है,” उन्होंने कहा और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। उन्होंने मेरी टाँगें चौड़ी कीं और मेरी चूत पर अपनी जीभ फिराने लगे। “आह्ह्ह… भैया… ये क्या कर रहे हो… मेरी चूत में आग लग रही है… उफ्फ…” मैं सिसकार रही थी। उनकी जीभ मेरी चूत के होंठों को चाट रही थी, और मैं पागल हो रही थी। “ओहhh… भैया… चाट लो… मेरी चूत को चूस डालो… आह्ह्ह…” मैं चिल्ला रही थी। उन्होंने मेरी चूत में अपनी दो उंगलियाँ पेल दीं, और मैं दर्द से कराह उठी, “उफ्फ… भैया… धीरे… मेरी चूत फट रही है… आह्ह्ह…” लेकिन उनकी उंगलियाँ मेरी चूत को रगड़ रही थीं, और मेरा रस टपकने लगा था।
उन्होंने अपना पजामा नीचा किया, और उनका मोटा, काला लंड बाहर आ गया। वो लंबा था, सख्त था, और उसकी नसें फूली हुई थीं। मैं उसे देखकर डर गई। “भैया… ये बहुत बड़ा है… मेरी चूत फट जाएगी… उफ्फ…” मैं काँप रही थी। लेकिन वो हँसे, “नेहा, डर मत। अकेली है न, तो आज तुझे जमकर चोदूँगा।” उन्होंने मेरा मुँह पकड़ा और अपना लंड मेरे होंठों पर रगड़ा। “चूस इसे, नेहा। थोड़ा गीला कर दे,” उन्होंने कहा। मैंने डरते-डरते उनका लंड मुँह में लिया। “उम्म… भैया… कितना मोटा है… उफ्फ…” मैं चूस रही थी, और उनका लंड मेरे गले तक जा रहा था। वो मेरे बाल पकड़कर मेरे मुँह को चोदने लगे, “चूस, नेहा… मेरी रंडी बन जा… आह्ह्ह…”
फिर उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं। मेरी चूत उनके सामने थी, और मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गई थीं। “भैया… धीरे करना… उफ्फ…” मैंने कहा। उन्होंने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा और एक जोरदार झटके में अंदर पेल दिया। “आह्ह्ह्ह… मर गई… भैया… निकाल दो… मेरी चूत फट गई… उफ्फ…” मैं दर्द से चीख पड़ी। उनका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया था। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगे, और “थप-थप-थप” की आवाज कमरे में गूँज उठी। “नेहा, तेरी चूत को आज जमकर चोदूँगा,” वो गंदी बात करते हुए मेरी चूचियाँ मसल रहे थे। मैं कराह रही थी, “आह्ह्ह… भैया… धीरे… मेरी चूत जल रही है… ओहhh…”
धीरे-धीरे दर्द मज़े में बदल गया। मैंने उनकी कमर पकड़ ली और चिल्लाई, “चोद दो… अपनी बहन की चूत को फाड़ दो… आह्ह्ह…” वो मेरी चूत को जमकर चोद रहे थे। फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बना दिया। मेरी गांड हवा में थी, और वो मेरी गांड को थप्पड़ मारते हुए बोले, “नेहा, तेरी गांड तो किसी रंडी से कम नहीं। इसे भी चोदूँगा।” उन्होंने मेरी गांड पर थूक लगाया और अपना लंड उसकी दरार में रगड़ने लगे। मैं डर गई, “भैया… गांड मत मारो… उफ्फ… फट जाएगी…” लेकिन उन्होंने मेरी एक न सुनी। उन्होंने अपना मोटा लंड मेरी गांड में धीरे-धीरे सरकाना शुरू किया। “आह्ह्ह्ह… मादरचोद… मर गई… निकाल दो… ओहhh…” मैं दर्द से चिल्ला रही थी। उनका लंड मेरी गांड को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया। दर्द असहनीय था, लेकिन वो रुके नहीं। वो मेरी गांड को चोदने लगे, और मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं, “उफ्फ… भैया… धीरे… मेरी गांड फट रही है… आह्ह्ह…” धीरे-धीरे दर्द मज़े में बदल गया, और मैं चिल्लाई, “चोद दो… मेरी गांड को भी फाड़ दो… ओहhh…”
रात गहराने लगी थी। भैया ने मुझे फिर से लिटाया और मेरी चूत में लंड पेल दिया। “नेहा, तेरी चूत को जमकर चोदकर चौड़ा कर दूँगा,” वो गुर्रा रहे थे। मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह्ह… भैया… चोदो… मेरी चूत को रगड़ डालो… उफ्फ…” उनका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था, और मेरी चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं। वो मेरी चूचियों को चूस रहे थे, और उनकी उंगलियाँ मेरी गांड में घुस रही थीं। मैं दोहरी मार से चिल्ला रही थी, “उफ्फ… भैया… मेरे दोनों छेद भर दो… आह्ह्ह…” वो मुझे पूरी रात चोदते रहे—कभी घोड़ी बनाकर, कभी गोद में उठाकर, कभी दीवार से सटाकर। मेरी चूत और गांड सूज गई थीं, और मेरा रस बिस्तर पर फैल रहा था।
फिर उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे मुँह में लंड ठूँस दिया। “चूस, नेहा… मेरा रस पी ले… उफ्फ…” वो चिल्लाए। मैंने उनका लंड चूसा, “उम्म… भैया… कितना गर्म है आपका लंड… आह्ह्ह…” उनका रस मेरे मुँह में छूट गया, और मैं उसे निगल गई। फिर उन्होंने अपना बचा हुआ रस मेरी चूचियों पर छोड़ दिया। मैं थककर बिस्तर पर लेट गई, मेरी साँसें तेज थीं, और मेरा बदन पसीने से तर था। मेरी चूत और गांड दर्द से भरी थीं, लेकिन मेरे जिस्म की सारी प्यास बुझ चुकी थी।
सुबह भैया ने मुझे गले लगाया और कहा, “नेहा, अकेली थी न, इसलिए तुझे जमकर चोदा। मज़ा आया?” मैं कराहते हुए बोली, “आह्ह्ह… भैया… आपने मेरी चूत और गांड दोनों फाड़ दी… उफ्फ… मज़ा तो बहुत आया।” उस रात के बाद भैया मेरे जिस्म के दीवाने बन गए। जब भी मैं अकेली होती, वो मुझे जमकर चोदते। मेरी चूत अब उनकी गुलाम बन गई थी। मेरी सेक्स कहानी डॉट कॉम के पाठकों, आपको मेरी ये हॉट कहानी कैसी लगी, जरूर बताना!