Hindi Sex Kahani Bhabhi Ki Chudai Devar Ke Sath : मेरा नाम रानी है, उम्र 29 साल, और मैं अपने पति अजय के साथ उनके गाँव के पुराने, विशाल मकान में रहती हूँ। मेरा गोरा जिस्म किसी मूर्ति की तरह तराशा हुआ था—मेरी चूचियाँ भरी हुई और गोल, जो हर ब्लाउज़ में कसकर उभरती थीं, मेरे निप्पल सख्त और गुलाबी, जो कपड़े के ऊपर से भी चुदाई का न्योता देते थे। मेरी पतली कमर पर साड़ी का पल्लू लिपटता था, और मेरी गहरी नाभि एक छोटा सा गड्ढा बनाती थी, जो हर मर्द की नज़र को वहीं रोक देती थी। मेरी गांड मोटी और चिकनी थी, जो साड़ी में चलते वक़्त मटकती थी, और मेरे चूतड़ की लचक ऐसी थी कि उसे देखकर किसी का लंड अपने आप सख्त हो जाए। मेरी चूत हमेशा गीली रहती थी, साड़ी के नीचे उसकी खुशबू छुपी रहती थी, और मेरे रसीले होंठ सिसकारियाँ भरने को तैयार रहते थे। अजय, मेरा पति, 35 साल का था—मेहनती, लेकिन अब उसका सारा ध्यान अपने खेतों और व्यापार पर था। रात को वो थककर बिस्तर पर लेटते ही सो जाता, और मेरी चूत की आग बुझाने वाला कोई नहीं था। मैं अकेले में अपनी चूचियाँ दबाती, निप्पल मसलती, और चूत में उंगलियाँ डालकर सिसकती, लेकिन वो सख्त, मोटा लंड जो मेरी चूत को चीर दे, वो मुझे नहीं मिलता था। मेरे जिस्म की भूख हर दिन बढ़ती जा रही थी, और मैं हर रात चुदाई के सपने देखती—कभी बिस्तर पर, कभी खेतों में, कभी बारिश में। घर में मेरा देवर, विक्की, भी रहता था—25 साल का जवान लड़का, जिसका बदन मज़बूत था जैसे पत्थर से तराशा गया हो। उसका चौड़ा सीना बनियान से बाहर झाँकता था, उसकी बाज़ुएँ शक्ति से भरी थीं, और उसका मोटा लंड पायजामे में सख्त होकर मेरी चूत को ललकारता था। उसकी आँखों में एक शरारत थी, जो मेरे जिस्म को हर बार देखते ही सुलगा देती थी। मैं कई बार उसे चुपके से नहाते देखती, उसका लंड पानी में चमकता हुआ, और मेरी चूत गीली हो जाती। मुझे नहीं पता था कि एक दिन वो मेरी हर ख्वाहिश को सच कर देगा।
गर्मियों की एक तपती दोपहर थी। आसमान में सूरज आग बरसा रहा था, और खेतों से गर्म हवा घर के हर कोने में घुस रही थी। अजय शहर गए थे, और घर में सन्नाटा पसरा था—सिर्फ़ छत पर कौवों की कर्कश आवाज़ें और रसोई में मेरे चूड़ियों की छनछन। मैं रसोई में खड़ी थी, एक हल्की नीली साड़ी पहने हुए, जो मेरे पसीने से भीगकर मेरे जिस्म से चिपक गई थी। साड़ी इतनी पतली थी कि मेरी चूचियाँ साफ़ झलक रही थीं, और मेरा ब्लाउज़ पसीने से तर होकर मेरे निप्पलों को उभार रहा था। साड़ी का पल्लू मेरी कमर से सरक गया था, और मेरी गहरी नाभि नंगी होकर चमक रही थी—पसीने की बूँदें उसमें इकट्ठा हो रही थीं, जैसे कोई मोती चमक रहा हो। मैंने एक ठंडे पानी का गिलास उठाया, और जैसे ही होंठों से लगाया, पानी की कुछ बूँदें मेरे गले से नीचे सरकीं, मेरी चूचियों पर गिरीं, और मेरे निप्पलों को और सख्त कर दिया। मेरी चूत में एक अजीब सी सनसनी दौड़ गई, और मैंने सोचा—काश कोई इन बूँदों को चाट ले, मेरे निप्पलों को चूस ले, और मेरी चूत को ठंडा कर दे। तभी विक्की रसोई में आया। उसने सिर्फ़ एक पतली बनियान और ढीला पायजामा पहना था, और उसका मोटा लंड पायजामे में सख्त होकर उभर रहा था, जैसे मेरी चूत को देखकर जाग उठा हो। उसकी बनियान पसीने से चिपकी थी, और उसका चौड़ा सीना साफ़ दिख रहा था—हर मांसपेशी चमक रही थी। “भाभी, क्या गर्मी है न?” उसने कहा, और उसकी नज़रें मेरी भीगी चूचियों पर ठहर गईं। मैंने शरारत से साड़ी ठीक की, लेकिन जानबूझकर धीरे-धीरे, ताकि मेरी चूचियाँ और नाभि उसकी आँखों के सामने नाचें। “हाँ विक्की, गर्मी तो बहुत है। तू पानी पी ले,” मैंने कहा, और झुककर उसे गिलास दिया। मेरी चूचियाँ ब्लाउज़ से बाहर झाँकने लगीं, मेरे निप्पल सख्त होकर चमक रहे थे, और मेरी गांड मटक उठी जैसे चुदाई का न्योता दे रही हो। उसकी आँखें चमक उठीं, और उसने गिलास लेते हुए मेरे हाथ को हल्का सा छुआ। उसकी उंगलियाँ गरम थीं, और मेरी चूत में आग लग गई। “भाभी, तुम्हारी चूचियाँ देखकर गर्मी और बढ़ रही है। पानी से ज़्यादा मुझे कुछ और चाहिए,” उसने धीमे से कहा, और उसकी आवाज़ में लंड की भूख थी। मेरी चूत गीली हो गई, और मैंने सिसकते हुए कहा, “तो ले ले न, विक्की। मेरी चूत तरस रही है, ठंडा कर दे इसे।” उसकी साँसें तेज़ हो गईं, और उसने गिलास फेंक दिया—वो ज़मीन पर टूटकर बिखर गया, और उसकी आवाज़ मेरे दिल की धड़कन के साथ बज उठी।
विक्की मेरे पास आया, उसकी साँसें इतनी गरम थीं कि मेरे चेहरे को झुलसा रही थीं। उसकी आँखों में चुदाई की आग चमक रही थी, और उसका मोटा लंड पायजामे में फड़फड़ा रहा था। “भाभी, तुम्हारी मोटी गांड और रसीली चूत देखकर मेरा लंड तड़प रहा है,” उसने फुसफुसाया, और उसका हाथ मेरी कमर पर फिसल गया। उसकी उंगलियाँ मेरी नाभि में घूम रही थीं, धीरे-धीरे नीचे सरकती हुईं, और मेरी चूत को पेटीकोट के ऊपर से रगड़ने लगीं। उसका स्पर्श मेरे जिस्म में बिजली की तरह दौड़ा, और मैं सिसक उठी, “विक्की, ये गलत है, पर मेरी चूत में इतनी आग लग रही है कि मैं मर जाऊँगी। चोद दो मुझे, अभी!” उसकी आँखों में एक जंगली चमक उभरी, और उसने मेरी साड़ी का पल्लू खींचकर फेंक दिया। साड़ी फर्श पर गिरी, और मेरा जिस्म उसके सामने आधा नंगा हो गया। उसने मेरा ब्लाउज़ पकड़ा और एक झटके में फाड़ डाला—बटन उछलकर चारों ओर बिखर गए, और मेरी गोरी चूचियाँ नंगी हो गईं। मेरी चूचियाँ भरी हुई थीं, गोल और चिकनी, और मेरे निप्पल सख्त होकर गुलाबी रंग में चमक रहे थे, जैसे चूसने का इंतज़ार कर रहे हों। “भाभी, तेरी चूचियाँ कितनी मस्त हैं, इन्हें चूस-चूसकर लाल कर दूँगा,” उसने कहा, और मेरे एक निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। उसकी गरम जीभ मेरे निप्पल को चाट रही थी, चूस रही थी, और हल्के से काट रही थी। मैं सिसक उठी, “विक्की, चूस ज़ोर से, मेरी चूचियाँ फट रही हैं, मेरी चूत गीली हो रही है!” उसका दूसरा हाथ मेरे पेटीकोट में घुस गया, और उसकी उंगलियाँ मेरी चूत को मसलने लगीं। उसने मेरा पेटीकोट खींचकर उतार दिया, और मेरी चिकनी चूत और मोटी गांड उसके सामने नंगी हो गईं। मेरी चूत से पानी टपक रहा था, और मेरे चूतड़ चुदाई के लिए मटक रहे थे। मैं चिल्लाई, “विक्की, मेरी चूत चाट, पानी निकाल दो, मैं पागल हो रही हूँ!” उसने मेरी जाँघें चौड़ी कीं, और अपने घुटनों पर बैठ गया। उसकी गरम साँसें मेरी चूत को छू रही थीं, और फिर उसकी जीभ मेरी चूत को चूसने लगी। “आह्ह! विक्की, चूस, मेरी चूत फट रही है!” मैं चीख रही थी। उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर नाच रही थी, मेरे पानी को चाट रही थी, और मैं सिसक-सिसक कर बेकाबू हो रही थी। “भाभी, तेरी चूत चाटकर लंड डालने का मन कर रहा है,” उसने कहा, और अपना पायजामा उतार दिया। उसका मोटा लंड बाहर आया—लंबा, सख्त, और चुदाई की आग से लाल—उसके सुपाड़े से पानी रिस रहा था।
मैं रसोई की स्लैब से चिपकी थी, मेरी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं, और मेरी गांड चुदाई के लिए तड़प रही थी। मेरे जिस्म पर पसीने की बूँदें चमक रही थीं, और मेरी चूत से पानी टपककर फर्श पर गिर रहा था। “विक्की, तेरा लंड चूसूँगी, फिर मेरी चूत चोद!” मैंने सिसकारी भरी। मैं घुटनों पर बैठी, और उसके लंड को अपने रसीले होंठों में लिया। उसका लंड मेरे मुँह में गरम था, उसका स्वाद नमकीन और उत्तेजक। मैं उसे चूस रही थी जैसे कोई भूखी औरत, मेरी जीभ उसके सुपाड़े पर नाच रही थी, और मेरे हाथ उसके सख्त टट्टों को सहला रहे थे। “भाभी, चूस, पूरा लंड गले में ले, फिर चूत में पेलूँगा!” उसने मेरे बाल पकड़कर कहा। मैं उसके लंड को गले तक ले रही थी, मेरे होंठ उसके लंड पर लिपस्टिक के निशान छोड़ रहे थे, और मेरी चूत से पानी टपक रहा था। “चोद मुझे, मेरी चूत और गांड तरस रही हैं!” मैं चिल्लाई। उसने मुझे उठाया, और स्लैब पर पटक दिया। मेरी मोटी गांड हवा में थी, मेरे चूतड़ उभरे हुए और चुदाई के लिए तैयार। “भाभी, तेरी चूत चोदूँगा, गांड फाड़ूँगा,” उसने कहा, और मेरी चूत पर लंड रगड़ा। उसका लंड मेरी चूत के मुँह पर गर्म था, और मैं चीखी, “चोदो! मेरी चूत में लंड पेलो, फाड़ दो!” उसका मोटा लंड मेरी चूत में घुसा, और एक ज़ोरदार धक्के से पूरा अंदर चला गया। “आह्ह! विक्की, चोद ज़ोर से, मेरी चूत फट रही है!” मैं सिसक रही थी। उसने मेरी चूचियाँ पकड़ लीं, मेरे निप्पल मसले, और धक्के मारने लगा। “तेरी चूत चोदकर भोसड़ा बना दूँगा!” उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था, और मेरी गांड हर धक्के के साथ उछल रही थी। “विक्की, मेरी गांड चोद, लंड डालो!” मैंने चिल्लाया। उसने मेरी चूत से लंड निकाला—वो मेरे चूत के पानी से चमक रहा था—और मेरी गांड पर थूक लगाया। उसका लंड मेरी गांड के छेद पर रगड़ा, और एक धक्के में अंदर पेल दिया। “आह्ह! मेरी गांड फट गई, चोदो!” मैं चीख रही थी। “तेरी गांड चोदकर ढीली कर दूँगा!” उसने मेरे बाल खींचे और धक्के मारे। उसकी उंगलियाँ मेरी चूत में नाच रही थीं, और मैं दर्द और मज़े में पागल हो रही थी।
हम रसोई से कमरे में आए। कमरे की बड़ी खिड़की से गर्म हवा आ रही थी, और बिस्तर पर गुलाबी चादर बिछी थी। मैं बिस्तर पर लेटी, मेरी चूचियाँ लाल थीं, मेरे निप्पल सूज गए थे, और मेरी चूत जल रही थी। मेरा जिस्म पसीने से चमक रहा था, और मेरी गांड चुदाई की आग में सुलग रही थी। “विक्की, मेरी चूत फिर चोद, चूचियाँ चूस!” मैंने कहा। उसने मुझे घोड़ी बनाया—मेरे घुटने बिस्तर पर थे, मेरी मोटी गांड हवा मे�� उठी हुई, और मेरे चूतड़ चुदाई के लिए ललचा रहे थे। “तेरी चूत फाड़ूँगा!” वो धक्के मार रहा था, और उसका हाथ मेरी चूचियाँ मसल रहा था। उसने मेरे निप्पल खींचे, और मैं चिल्लाई, “चोदो, मेरी गांड में उंगली डालो!” उसकी उंगलियाँ मेरी गांड में नाच रही थीं, और उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था। उसने मुझे पलटा, और मेरे निप्पल चूसने लगा। “भाभी, तेरे निप्पल चूसकर चूत में लंड डालूँगा,” उसने कहा। उसका लंड फिर मेरी चूत में घुसा, और वो ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। “विक्की, मेरी चूत का पानी निकाल दो!” मैं चीख रही थी। उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारे, मेरे चूतड़ लाल हो गए, और मेरी चूचियाँ दबाईं। “तेरी गांड और चूत चोदकर मज़ा आ रहा है!” उसने कहा। उसका लंड मेरी चूत में फटने को तैयार था। “मेरा माल तेरी चूत में डालूँगा!” उसने गरजते हुए कहा। “डालो, मेरी चूत भर दो!” मैं चिल्लाई। उसके धक्के तेज़ हुए, और उसका गरम माल मेरी चूत में छूट गया। “आह्ह! मस्त चुदाई!” मैं चीखी, और मेरा पानी भी उसके लंड के साथ बह निकला।
हम बिस्तर पर ढेर हो गए। मेरी चूत और गांड जल रही थीं, मेरे निप्पल लाल और सूजे हुए थे, मेरी चूचियाँ दर्द कर रही थीं, और मेरे होंठ सूख गए थे। कमरे में चुदाई की गंध फैल गई थी—पसीने, चूत के पानी, और लंड के माल की मिश्रित खुशबू। मेरा जिस्म पसीने से चिपचिपा था, और मेरी चूत से माल टपक रहा था। विक्की मेरे बगल में लेटा था, उसका लंड अभी भी आधा सख्त था, और उसकी छाती पसीने से चमक रही थी। उसने मेरे होंठ चूमे, मेरे निप्पल सहलाए, और कहा, “भाभी, तेरी चुदाई में मज़ा आ गया। फिर चोदूँगा।” मैंने सिसकते हुए कहा, “विक्की, मेरी चूत और गांड तेरे लंड की प्यासी हैं। जब चाहे चोद देना।” उसने मेरी चूचियाँ दबाईं, और हँसते हुए कहा, “भाभी, तुझे अपनी रंडी बना लूँगा। हर दिन तेरी चूत और गांड चोदूँगा।” मैंने उसकी छाती पर सर रखा, और उसकी बात से मेरी चूत फिर गीली हो गई। उस दिन के बाद, जब भी अजय बाहर जाता, विक्की मेरे कमरे में आता। कभी बिस्तर पर, कभी खेतों में, कभी बारिश में—वो मेरी चूत, गांड, और चूचियाँ चोदता। मैं उसकी चुदाई की आग में जलती, और हर बार सिसक-सिसक कर कहती, “विक्की, चोदो, मेरी चूत फाड़ दो!” हमारा ये खेल महीनों चला, और मेरी चूत की प्यास कभी खत्म नहीं हुई।