आधी रात की भूख

Cab Driver aur Main Sex Story : मेरा नाम नेहा है, 28 साल की हूँ। मेरा जिस्म एक जलता हुआ अंगारा था, जिसे मेरे पति रवि की गैरमौजूदगी ने और भड़का दिया था। उस रात दिल्ली की ठंडी सड़कों पर मैं ऑफिस से लौट रही थी। कैब का ड्राइवर अर्जुन था—लंबा, मज़बूत, उसकी चौड़ी छाती और आँखों में एक भूखी चमक। उसने मुझे देखा और अपने होंठ चाटते हुए बोला, “तेरे गुलाबी गाल और ये रसीला जिस्म… मेरा खून गरम कर रहे हैं।” उसकी आवाज़ मेरे कानों में आग बनकर गूँजी।

रास्ते में बारिश शुरू हुई। उसने कैब को एक सुनसान सड़क पर रोका और पीछे मेरे पास सरक आया। “बारिश तेज़ है, रुकते हैं,” उसने कहा, लेकिन उसकी नज़रें मेरे होंठों से नीचे मेरे भरे हुए उभारों पर टिक गईं। उसका हाथ मेरे गुलाबी गालों पर फिसला, और उसकी गर्म उंगलियाँ मेरे होंठों को सहलाने लगीं। उसने मेरे होंठों को अपने मोटे होंठों से चूस लिया, और उसकी जीभ मेरे मुँह में घुसकर मेरे होंठों का रस पीने लगी। उसका चुंबन इतना जंगली था कि मेरे जिस्म में बिजली दौड़ गई। मैंने उसकी शर्ट फाड़ डाली, और उसकी नंगी छाती पर अपने नाखून गड़ाकर उसकी गर्मी को चखा।

उसने मेरी कुर्ती को फाड़कर फेंक दिया। मेरे नंगे पेट पर उसकी जीभ रेंगने लगी, और मेरे रसीले उभार उसके सामने नंगे हो गए। उसने मेरी ब्रा को तोड़ डाला, और मेरी गोरी, भरी हुई चूचियाँ हवा में काँप उठीं। “तेरी चूचियाँ… इन्हें मसलकर मैं तेरा सारा नशा चखूँगा,” उसने गुर्राते हुए कहा। उसने मेरी एक चूची को अपने मुँह में लिया और उसे ज़ोर से चूसने लगा, उसकी जीभ मेरे नाज़ुक निप्पल पर नाच रही थी। उसका दूसरा हाथ मेरी दूसरी चूची को बेरहमी से दबा रहा था, और मेरे मुँह से सिसकारियाँ फूट रही थीं। मेरा जिस्म उसकी भूख में पिघल रहा था।

उसने मुझे सीट पर पटक दिया और मेरी लेगिंग्स को फाड़कर उतार फेंका। मेरी नंगी जाँघें उसके सामने थीं, और उसकी आँखें मेरे मांसल कूल्हों को नोच रही थीं। “तेरी जाँघें और गांड… इन्हें सहलाने से मेरा खून उबल रहा है,” उसने कहा। उसने मेरी पैंटी को अपने दाँतों से खींचकर फाड़ दिया, और मेरी नंगी गांड उसके हाथों में थी। उसकी उंगलियाँ मेरे नाज़ुक, गर्म हिस्से को रगड़ने लगीं, और मेरे जिस्म में एक आग सी भड़क उठी। उसने मेरी गांड को अपने मज़बूत हाथों में जकड़ा और उसे ज़ोर से मसला, जैसे मेरे हर हिस्से को निचोड़ लेना चाहता हो।

उसने अपनी पैंट उतार फेंकी, और उसका सख्त, गर्म मांस मेरी नंगी जाँघों से टकराया। उसकी ताकत मेरे जिस्म को जलाने लगी। “तेरे गुलाबी होंठ, तेरी चूचियाँ, तेरी गांड… आज रात मैं तुझे पूरा तबाह कर दूँगा,” उसने गरजते हुए कहा। उसने मेरी चूचियों को फिर से अपने मुँह में लिया और उन्हें चूसने लगा, उसकी जीभ मेरे निप्पल से नीचे मेरे पेट तक सरकी। उसकी उंगलियाँ मेरी जाँघों के बीच मेरे नाज़ुक, गर्म हिस्से को सहलाने लगीं, और उसने उसे अपने होंठों से चूम लिया। उसकी गर्म जीभ मेरे अंदर तक घुस गई, और मेरे मुँह से चीखें निकल पड़ीं। मैंने उसके बाल जकड़े और उसे और गहराई में खींच लिया। उसकी जीभ मेरे जिस्म को चाट रही थी, और मेरा पूरा शरीर उसकी हवस में जल रहा था।

उसने मुझे अपनी गोद में उठाया और मेरी नंगी गांड को अपनी मज़बूत जाँघों पर टिका दिया। उसकी छाती मेरी चूचियों से दब रही थी, और उसका सख्त मांस मेरे नाज़ुक हिस्से को रगड़ रहा था। उसने मेरे गुलाबी गालों को चूमा, फिर मेरे होंठों को अपने दाँतों से काट लिया। उसकी उंगलियाँ मेरी गांड को मसल रही थीं, और उसका दूसरा हाथ मेरी चूचियों को ज़ोर से दबा रहा था। उसने मेरी कमर को जकड़ा और मुझे अपनी ओर और गहराई में खींच लिया। उसकी साँसें मेरे गुलाबी गालों पर आग की तरह टकरा रही थीं, और उसका पूरा शरीर मेरे नंगे जिस्म से रगड़ खा रहा था।

उसने मुझे फिर से सीट पर पटक दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसकी मज़बूत जाँघें मेरी जाँघों को कुचल रही थीं, और उसका सख्त मांस मेरे नाज़ुक हिस्से से टकरा रहा था। उसने मेरी गांड को उठाया और मुझे अपनी ओर खींच लिया। “तेरी जाँघें, तेरी चूचियाँ, तेरा नंगा जिस्म—आज रात मैं तुझे इस कदर लूँगा कि तू चीखती रह जाए,” उसने गुर्राया। उसकी जीभ मेरे होंठों से नीचे मेरी चूचियों तक सरकी, और उसने मेरे निप्पल को अपने दाँतों से काट लिया। उसका हाथ मेरी जाँघों के बीच मेरे नाज़ुक हिस्से को रगड़ रहा था, और उसकी उंगलियाँ मेरे गर्म मांस को मसल रही थीं। मेरा पूरा शरीर उसकी ताकत के आगे थर्रा रहा था।

बाहर बारिश थम चुकी थी, लेकिन कैब के अंदर का जुनून चरम पर था। उसने मेरी गांड को उठाया और अपने सख्त मांस को मेरे नाज़ुक हिस्से से सटा दिया। उसकी हर रगड़, हर धक्का, हर चीख मेरे जिस्म को आग में झोंक रही थी। उस रात, उस कैब में, मेरे गुलाबी गाल, मेरे होंठ, मेरी चूचियाँ, मेरी जाँघें, मेरी गांड—हर हिस्सा उसकी भूख का शिकार बन गया।