चाँदनी रात में छत पर तांडव – रानी भाभी की ज़ुबानी

“हाय रे राहुल, तू कितना मासूम बनता है, पर तेरी आँखों में वो शरारत मैं देख सकती हूँ। उस रात जब शादी का शोर थमा, और पूरा गाँव सो गया, मुझे लगा कि छत पर चाँदनी का मज़ा लेना चाहिए। और तुझे साथ लेना तो बनता था, मेरा प्यारा देवर। मैंने लाल साड़ी पहनी, वो जो मेरी कमर को कसकर पकड़ती है और मेरी चूचियों को ऐसे उभारती है कि कोई भी नज़र हटा न सके। मैं जानती थी, तू मुझे देखेगा और तेरे दिल में आग लगेगी।

जब मैं छत पर आई, तू चाँद को ताक रहा था। मैंने सोचा, ‘चाँद से क्या लेना-देना, जब मैं यहाँ हूँ?’ मैंने धीरे से कहा, ‘राहुल, अकेले क्या कर रहा है?’ तेरी शरमाती आवाज़ सुनकर मेरे होंठों पर मुस्कान आ गई। ‘बस चाँद देख रहा हूँ, भाभी,’ तूने कहा। मैं पास बैठ गई, मेरी साड़ी का पल्लू हवा में लहराया, और मैंने देखा कि तेरी नज़र मेरी नाभि पर टिक गई। हाय, वो नज़र! मुझे गुदगुदी सी हुई।

‘चाँद से अच्छा कुछ और देखना चाहेगा?’ मैंने आँख मारते हुए कहा। तू चौंका, पर कुछ बोल न सका। मुझे हँसी आ गई। मैंने तेरा हाथ पकड़ा और अपनी ओर खींच लिया। तेरे चेहरे के पास आकर मैंने अपने होंठ तेरे होंठों पर रख दिए। उफ्फ, कितना गर्म था वो चुम्बन! तेरी साँसें तेज़ हुईं, और मैंने अपनी जीभ तेरे मुँह में डाल दी। तूने भी मुझे कसकर पकड़ लिया, जैसे डर रहा हो कि मैं कहीं भाग न जाऊँ। मैंने सोचा, ‘अब तुझे भागने का मौका नहीं दूँगी, राहुल।’

‘राहुल, मेरी चूचियों को दबा न,’ मैंने फुसफुसाते हुए कहा और तेरा हाथ अपनी छाती पर रख दिया। मेरी चूचियाँ भारी और गर्म थीं, और जब तूने उन्हें मसला, मुझे ऐसा लगा जैसे बिजली सी दौड़ गई। ‘हाय, कितना मज़ा आ रहा है,’ मैंने सिसकारी भरी। मेरा पल्लू नीचे सरक गया, और मेरी गोरी, गोल चूचियाँ चाँदनी में चमक उठीं। ‘चूस इन्हें, राहुल,’ मैंने कहा, और तूने मेरी एक चूची को मुँह में ले लिया। तेरी जीभ मेरे निप्पल पर घूमी, और मैं चीख पड़ी, ‘आह्ह… राहुल, और ज़ोर से!’ मेरी सिसकियाँ छत पर गूँज रही थीं, और मुझे लगा कि ये रात मेरी जिंदगी की सबसे गर्म रात होगी।

‘अब रुक मत, देवर जी,’ मैंने कहा और तुझे नीचे लिटा दिया। तेरी पैंट खोलते वक्त मेरे हाथ काँप रहे थे, पर जब मैंने तेरा लंड देखा, मेरी आँखें चमक उठीं। ‘हाय राम, कितना मोटा और सख्त है तेरा,’ मैंने शरारती अंदाज़ में कहा। मैंने उसे हाथ में लिया, सहलाया, और तेरे मुँह से एक सिसकारी निकली। ‘भाभी, क्या कर रही हो?’ तूने पूछा। ‘देखते जाओ,’ मैंने हँसते हुए कहा और अपनी साड़ी ऊपर उठाई। मेरी चिकनी जाँघें और गीली चूत तेरे सामने थी। ‘देख, राहुल, मेरी चूत कितनी तरस रही है,’ मैंने कहा और धीरे से तुझ पर बैठ गई।

जब तेरा लंड मेरी चूत में घुसा, मैं चीख पड़ी, ‘उफ्फ… कितना बड़ा है!’ मेरी चूत टाइट थी, पर गीली हो चुकी थी, और हर इंच मुझे जन्नत का एहसास दे रहा था। ‘धक्के मार, राहुल,’ मैंने कहा, और तूने नीचे से कमर उठानी शुरू की। मेरी गांड हवा में उछल रही थी, और मैंने कहा, ‘हाय, मेरी गांड को थपथपा न!’ तूने मेरी गोल, मांसल गांड पर हाथ मारा, और मैं चिल्लाई, ‘और मारो, राहुल, मज़ा आ रहा है!’ हर थप्पड़ के साथ मेरी चूत और गीली हो रही थी।

‘तेरे लंड का हर धक्का मुझे पागल कर रहा है,’ मैंने सिसकारी भरी। मैं ऊपर-नीचे हो रही थी, मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, और तू उन्हें पकड़कर मसल रहा था। ‘हाय, राहुल, मेरी चूत को फाड़ दे,’ मैं चीख रही थी। चाँदनी में हमारा ये तांडव चल रहा था, और मुझे लगा कि पूरी दुनिया गायब हो गई है। ‘भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ,’ तूने कहा। ‘अंदर ही झड़ जा, देवर जी,’ मैंने कहा, और जब तेरा गरम माल मेरी चूत में भरा, मैं थरथराते हुए तेरे ऊपर ढेर हो गई।

‘हाय, राहुल, ये चाँदी रात मेरे लिए जन्नत बन गई,’ मैंने तेरे कान में फुसफुसाया। हम दोनों की साँसें तेज़ थीं, मेरी चूत अभी भी तेरे लंड को महसूस कर रही थी। मैंने तुझसे कहा, ‘अब ये हमारा छोटा सा राज़ है।’ तूने शरमाते हुए हामी भरी, और मैंने सोचा, ‘ये तो बस शुरुआत है।’

फिर मैं उठी, अपनी साड़ी ठीक की, पर मेरी चूचियाँ अभी भी उत्तेजना से सख्त थीं। ‘चल, राहुल, नीचे चलते हैं, वरना कोई शक करेगा,’ मैंने कहा। पर मन में मैं सोच रही थी कि अगली बार तुझे और गर्म करने के लिए क्या करूँ। ‘तेरे लंड का स्वाद मेरी चूत को भूलने नहीं देगा,’ मैंने मन ही मन कहा और मुस्कुरा दी।