College Principal and Hot Student Sex Story – मेरा नाम कावेरी है, और मैं 22 साल की हूँ। मैं एक छोटे से शहर के कॉलेज में पढ़ती हूँ। मेरा शरीर भरा हुआ है—गोरी चमड़ी, मोटे चूचे, और भारी गांड। मैं कॉलेज में सबसे हॉट लड़कियों में से एक हूँ, और मेरे टाइट कपड़े पहनने की वजह से सबकी नज़रें मुझ पर रहती हैं। लेकिन मेरी ज़िंदगी तब बदल गई, जब हमारे कॉलेज के प्रिंसिपल, राकेश सर, ने मुझे अपने ऑफिस में बुलाया। राकेश सर 45 साल के थे—लंबे, मज़बूत, और उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी।
एक दिन मैं कॉलेज में अपनी सहेलियों के साथ हँस-बोल रही थी, तभी एक चपरासी आया और बोला, “कावेरी, प्रिंसिपल सर ने तुम्हें ऑफिस में बुलाया है।” मैं हैरान हो गई। “मुझे? लेकिन क्यों?” मैंने पूछा। “पता नहीं, जल्दी चलो,” उसने कहा। मेरे मन में डर था। मैंने एक टाइट कुर्ती और लेगिंग्स पहनी थी, जिसमें मेरे चूचे और गांड साफ़ दिख रहे थे। मैं प्रिंसिपल के ऑफिस की तरफ बढ़ी, और मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था।
मैंने ऑफिस का दरवाजा खटखटाया। “आ जाओ, कावेरी,” राकेश सर की भारी आवाज़ आई। मैं अंदर गई। ऑफिस में सिर्फ़ राकेश सर अकेले थे। उन्होंने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा, और उनकी नज़रें मेरे चूचों पर टिक गईं। “बैठो, कावेरी,” उन्होंने कहा। मैं डरते-डरते कुर्सी पर बैठ गई। “कावेरी, तुम्हारी स्कॉलरशिप का मसला है। तुम्हारी अटेंडेंस कम है, और तुम फेल हो सकती हो,” उन्होंने सख्त लहजे में कहा।
“सर, प्लीज़, ऐसा मत कहिए। मुझे स्कॉलरशिप चाहिए,” मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा। राकेश सर मुस्कुराए। “ठीक है, कावेरी, लेकिन इसके लिए तुम्हें कुछ करना होगा,” उन्होंने कहा और अपनी कुर्सी से उठकर मेरे करीब आ गए। “क्या करना होगा, सर?” मैंने डरते हुए पूछा। “कावेरी, मुझे तुम्हारा जिस्म चाहिए,” उन्होंने गरम लहजे में कहा। मैं सन्न रह गई। “सर, ये गलत है,” मैंने कहा, लेकिन मेरी चूत गीली हो रही थी।
राकेश सर ने दरवाजा लॉक कर दिया। “कावेरी, अगर स्कॉलरशिप चाहिए, तो चुपचाप मेरी बात मानो,” उन्होंने कहा और मेरे कंधे पर हाथ रख दिया। उनकी छुअन से मेरे जिस्म में करंट दौड़ गया। उन्होंने मेरी कुर्ती का कंधा नीचे सरका दिया। “क्या मस्त चूचे हैं, कावेरी,” उन्होंने कहा और मेरी कुर्ती फाड़ दी। मेरे चूचे ब्रा में से उभर रहे थे। उन्होंने मेरी ब्रा भी उतार दी। “आह्ह, सर, ये क्या कर रहे हो?” मैं सिसक उठी।
राकेश सर ने एक निप्पल को मुँह में भर लिया। “आह्ह, सर, चूसो,” मैं सिसक उठी। मेरी चूत से रस टपकने लगा। उन्होंने मेरी लेगिंग्स और पैंटी उतार दी। “कावेरी, तेरी चूत देखनी है,” राकेश सर ने कहा और मेरी टाँगें फैला दीं। मेरी चूत नंगी होकर चमकने लगी। उन्होंने अपनी जीभ मेरी चूत पर फेर दी। “आह्ह, सर, चाटो, मेरी चूत का रस पी जाओ!” मैं चिल्लाई। उनकी जीभ मेरी चूत के होंठ चूस रही थी। “कावेरी, तेरी चूत का स्वाद गज़ब है,” राकेश सर ने कहा।
उन्होंने अपनी पैंट उतार दी। उनका मोटा लंड बाहर निकला—लंबा, सख्त और गरम। “सर, ये तो मेरी चूत फाड़ देगा!” मैंने डरते हुए कहा। “कावेरी, तेरी चूत फाड़ने का मज़ा ही अलग है,” उन्होंने हँसते हुए कहा। उन्होंने मुझे ऑफिस की टेबल पर लिटाया। “पहले तेरी चूत चोदूँगा,” राकेश सर ने कहा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। “आह्ह, सर, मेरी चूत फट गई!” मेरी चीखें ऑफिस में गूँज उठीं। उन्होंने तेज़ी से धक्के मारने शुरू किए। “कावेरी, तेरी चूत तो मेरे लंड को निगल रही है,” राकेश सर ने कहा।
मेरी गांड हर धक्के के साथ हिल रही थी। “सर, और जोर से चोदो, मुझे मज़ा दे दो!” मैं चिल्लाई। मेरी चूत से रस टपक-टपक कर टेबल पर गिर रहा था। राकेश सर ने मुझे टेबल से उतारा और मुझे कुतिया बनाया। “अब तेरी गांड में लंड डालूँगा,” उन्होंने कहा और मेरी गांड पर थप्पड़ मारा। “मारो, सर, मेरी गांड लाल कर दो!” मैंने कहा। उन्होंने अपना मोटा लंड मेरी गांड में पेल दिया। “आह्ह, मेरी गांड फट गई, और तेज़!” मेरी चीखें तेज़ हो गईं। “कावेरी, तेरी गांड बहुत टाइट है,” राकेश सर ने कहा।
चुदाई का खेल बढ़ गया। उन्होंने मुझे टेबल पर फिर से लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गए। “अब तेरी चूत को गहरा चोदूँगा,” उन्होंने कहा और लंड मेरी चूत में ठोक दिया। “आह्ह, सर, मेरी चूत चीर डालो!” मैं चिल्लाई। उनका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। “कावेरी, तेरी चूत को चोद-चोद कर ढीली कर दूँगा,” राकेश सर ने कहा और मेरे चूचों को मसलते हुए धक्के मारे। “चोदो मुझे, सर, मुझे अपने लंड का मज़ा दो!” मेरी सिसकियाँ तेज़ हो गईं। टेबल हमारी चुदाई से हिल रही थी।
राकेश सर ने मुझे ऑफिस की कुर्सी पर बिठाया। “कावेरी, तेरे होंठ चूसूँगा,” उन्होंने कहा और मेरे होंठ चूसने लगे। “आह्ह, सर, मेरे होंठ दबा दो!” मैंने कहा। उन्होंने मेरे होंठों को काटा और कहा, “कावेरी, तेरे होंठ तो शहद हैं।” मैंने उनका लंड पकड़ा और मसलते हुए कहा, “सर, मेरी चूत को फिर चोदो!” उन्होंने मुझे कुर्सी पर ही चोदना शुरू कर दिया। “तेरी चूत और गांड दोनों को रस से भर दूँगा,” राकेश सर ने चीखते हुए कहा। “और जोर से चोदो, मेरी प्यास बुझा दो!” मैं चिल्लाई।
रात होने लगी। राकेश सर ने मुझे ऑफिस के सोफे पर ले जाया। “कावेरी, यहाँ तेरी चूत को चोदूँगा,” उन्होंने कहा और मुझे सोफे पर लिटा दिया। “सर, सोफे पर चुदाई का मज़ा लो!” मैंने कहा। उन्होंने मेरी चूत में लंड ठोका। “आह्ह, सर, और जोर से!” मैं चिल्लाई। सोफा हमारी चुदाई से हिल रहा था। “कावेरी, तेरी चूत मेरे लंड की दीवानी है,” राकेश सर ने कहा।
आख़िर में राकेश सर का लंड फट पड़ा। उनका गरम रस मेरी चूत में भर गया, फिर मेरी गांड में, और बाक़ी मेरे चूचों और होंठों पर छिड़क गया। “आह्ह, सर, आपका रस मेरे मुँह में डालो,” मैंने कहा और उनके लंड से टपकता रस चाट लिया। हम दोनों हाँफते हुए सोफे पर गिर पड़े। “कावेरी, तूने मुझे जन्नत दिखा दी,” राकेश सर ने हँसते हुए कहा। “और आपने मुझे स्कॉलरशिप दिला दी,” मैंने जवाब दिया। उनकी चुदाई की गर्मी मेरे जिस्म में समा गई थी।