Hindi Sex Story: दामाद ने मुझे गर्म कर चोदा – सास दामाद सेक्स कहानी
गर्मियों की एक तपती दोपहर थी, गाँव का हमारा पुराना घर शांत था। मैं, सुशीला, 45 साल की एक सेक्सी सास, अपने कमरे में पंखे के नीचे लेटी थी। मेरा फिगर अभी भी हॉट था—38D की भारी चूचियाँ, मोटी कमर, और भारी-भरकम गांड जो मेरी साड़ी में उभरती थी। मेरी बेटी, रानी, अपने पति यानी मेरे दामाद, विनोद, के साथ हमारे घर आई थी। विनोद 30 साल का जवान मर्द था—लंबा, गोरा, और उसकी धोती में उसका लंड हमेशा उभरा हुआ दिखता था। आज रानी अपने मायके गई थी, और घर में सिर्फ मैं और विनोद थे। मेरी चूत उसकी मर्दानगी को सोचकर गीली हो रही थी।
दोपहर के 3 बजे थे, मैंने साड़ी का पल्लू ढीला छोड़ा था, मेरी चूचियाँ ब्लाउज में से झाँक रही थीं। विनोद अचानक कमरे में आया, उसकी शर्ट पसीने से भीगी थी। “सासू माँ, गर्मी बहुत है ना?” उसने कहा, और मेरे पास बिस्तर पर बैठ गया। उसकी नज़र मेरी चूचियों पर टिकी, और मैंने देखा कि उसकी धोती में उसका लंड सख्त हो रहा था। “हाँ, विनोद, उफ्फ ये गर्मी,” मैंने कहा, और जानबूझकर अपनी साड़ी को और ढीला किया। मेरी चूत में एक अजीब-सी आग भड़क रही थी।
विनोद ने मेरी ओर देखा, “सासू माँ, आप बहुत सेक्सी लग रही हो।” उसकी बात सुनकर मेरी चूत और गीली हो गई। उसने अपना हाथ मेरे जांघ पर रखा और धीरे से सहलाया। “आह, विनोद, ये क्या कर रहे हो?” मैंने नाटक किया, लेकिन मेरी साँसें तेज़ हो गईं। उसने मेरी साड़ी का पल्लू खींचा, और मेरी चूचियाँ ब्लाउज में उभर आईं। “सासू माँ, आपको गर्मी से राहत दूँ?” उसने कहा, और मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए। मेरी चूचियाँ बाहर आ गईं—बड़ी, भारी, और निप्पल सख्त।
“विनोद, ये गलत है,” मैंने कहा, लेकिन मेरी चूत उसकी हरकतों से चीख रही थी। उसने मेरी एक चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा। “आह, विनोद, चूसो, जोर से!” मैं चिल्लाई, मेरी गांड बिस्तर पर हिलने लगी। उसने दूसरी चूची को हाथ से मसला, और उसका लंड मेरी जांघ को चुभ रहा था। “सासू माँ, आपकी चूचियाँ बहुत मस्त हैं,” उसने कहा, और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। उसने मेरी साड़ी पूरी तरह उतार दी, और मेरी चूत नंगी हो गई—गीली, गुलाबी, और उसकी चुदाई के लिए तैयार।
“विनोद, तेरी सास की चूत को देख,” मैंने सेक्सी अंदाज़ में कहा। उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर फिराई, “सासू माँ, आपकी चूत कितनी हॉट है।” “आह, चाटो मेरी चूत को!” मैं चीखी, उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक गई। उसने मेरे क्लिट को चूसा, और मैं अपनी गांड हिलाकर उसका मुँह चोदने लगी। “फक, विनोद, मुझे गर्म कर दिया तूने!” मैंने कहा।
उसने अपनी धोती उतारी, और उसका लंड बाहर आया—9 इंच लंबा, मोटा, और सख्त। “सासू माँ, मेरा लंड आपकी चूत के लिए तैयार है,” उसने कहा। मैंने टाँगें चौड़ी कीं, “चोदो, विनोद, मेरी चूत फाड़ दो!” उसने अपना लंड मेरी चूत में डाला, और एक जोरदार धक्के से पूरा अंदर घुसा दिया। “आह, फक, कितना बड़ा लंड है!” मैं चिल्लाई, उसने मेरी चूचियाँ पकड़कर मुझे चोदना शुरू किया।
उसकी चुदाई तेज थी—हर धक्के में उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जाता, और मेरी चूचियाँ उछलतीं। “चोदो, विनोद, जोर से चोदो!” मैं चीखी, उसने मेरी गांड को थप्पड़ मारे और मेरी चूत को और तेजी से चोदा। “सासू माँ, आपकी चूत मेरे लंड को निचोड़ रही है,” उसने कहा। उसने मुझे घुमाया और घोड़ी बनाकर मेरी चूत में फिर से लंड डाला। “आह, विनोद, मेरी गांड भी मारो!” मैंने कहा।
उसने मेरी गांड पर थूक लगाया और अपना लंड उसमें घुसा दिया। “फक, सासू माँ, आपकी गांड कितनी टाइट है!” उसने मेरी चूचियाँ पकड़कर मेरी गांड को चोदा। “चोदो, विनोद, मेरी गांड फाड़ दो!” मैं चिल्लाई, उसकी चुदाई से मेरी चूत से पानी टपक रहा था। “तूने मुझे गर्म कर दिया, अब झड़ा दे!” मैंने कहा, और मैं झड़ गई—“आह, विनोद, मैं झड़ रही हूँ!”
उसने मेरी गांड से लंड निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया। “चूसो, सासू माँ, मेरे लंड को!” मैंने उसका लंड चूसा, उसका स्वाद मेरे होश उड़ा रहा था। उसने मेरे मुँह को चोदा और अपना माल मेरी चूचियों पर छोड़ दिया। “रानी के आने से पहले फिर चोदूँगा,” उसने कहा, और मेरी चूत पर एक मुद्दु दे दी।