देसी लोक वासना – यक्ष की शक्ति से मेरी कामुकता जगी

Desi Kaam Vasna Kamukta Sex Story – मेरा नाम शालिनी है। मैं 28 साल की हूँ, एक सुंदर, कामुक और जवान औरत, जिसका जिस्म भारतीय ग्रामीण माटी की खुशबू से सराबोर है, जैसे कोई अप्सरा धरती पर अवतरित हो। मेरा गोरा, चिकना बदन, बड़े-बड़े रसीले चूचियाँ जो लाल साड़ी में उभरकर गाँव की मस्ती को बयां करती हैं, और मोटी, गोल, भारी गांड जो पैरों की चाल में देसी लचक लिए हुए है, किसी भी मर्द का लंड जगा सकती हैं। मेरी चूत हमेशा गीली, गरम और भूखी रहती थी, और मेरी वासना भारतीय रातों की ठंडी हवाओं में तड़पती थी, जैसे कोई यक्षिणी की पुकार हो। मेरा पति, रमेश, 32 साल का था—लंबा, सांवला, और गाँव का साधारण किसान, लेकिन उसका 6 इंच का लंड मेरी चूत की गहराई को संतुष्ट नहीं कर पाता था। रमेश खेतों में दिनभर मेहनत करता था, और मेरी कामुकता बढ़ती जा रही थी। हमारे गाँव में एक रहस्यमयी यक्ष, हरि यक्ष, की कथा प्रसिद्ध थी—एक शक्तिशाली, सांवले, और मज़बूत जिस्म वाले प्राणी, जिसकी किंवदंती थी कि उसका मोटा, 10 इंच का लंड किसी भी औरत की वासना को शांत कर देता है। लोग कहते थे कि हरि यक्ष का आशीर्वाद मेरी चूत को प्रेग्नेंट कर सकता है, और मेरी कामुकता को पूरा कर सकता है। हमारा घर उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में था, जहाँ मैं, रमेश, और मेरी सास, कमला, अक्सर अकेले रहते थे, क्योंकि मेरे ससुर मंदिर में समय बिताते थे।

एक दिन सावन की बारिश हो रही थी। गाँव में हवा में मिट्टी की खुशबू और बरसात की ठंडक थी, लेकिन मेरी चूत में एक आग जल रही थी, जैसे यक्षिणी की पुकार हो। रमेश ने बताया, “शालिनी, मुझे 20 दिन के लिए लखनऊ जाना है। तुम सास और बाबू जी के साथ रहना, मैं जल्दी आऊँगा।” मेरी चूत सुनते ही गरम हो गई। मैंने सोचा, “20 दिन बिना चुदे कैसे रहूँगी? मेरी चूत की वासना को मोटा लंड चाहिए, जो रमेश नहीं दे पाता। हरि यक्ष मेरी कामुकता शांत कर सकता है, जैसे गाँव की कथा मेरी रूह को छू ले।” रमेश चला गया, और घर में सिर्फ मैं और मेरी सास थीं। लेकिन रात को मैंने हरि यक्ष की पूजा की, और एक गहरी नींद में मैंने उसे बुलाया। मेरी सपने में उनकी छवि आई—लंबे, सांवले, और मज़बूत जिस्म, और उनकी धोती में मोटा, 10 इंच का लंड साफ उभरता हुआ। मैंने सोचा, “क्या ये सच है? क्या हरि यक्ष मेरी चूत को चोदेगा?”

रात को बारिश और तेज़ हो गई। मैं छत पर सोने चली गई, एक पतली, लाल नाइटी में। मेरी चूचियाँ नाइटी से उभर रही थीं, और मेरी गांड का उभार नंगी चमक रहा था। मेरे निप्पल सख्त होकर नाइटी से बाहर निकलने को बेताब थे, और मेरी चूत गीली हो रही थी, जैसे कोई यक्षिणी की वासना जाग गई हो। मैंने एक पतली चादर ओढ़ी, और गहरी नींद में सो गई। मेरी चूत की गर्मी हवा में फैल रही थी, और मेरी चूतड़ हल्के से हिल रहे थे। तभी हरि यक्ष प्रकट हुए। उनकी सांवली त्वचा, मज़बूत जिस्म, और मोटा लंड मेरे सामने थे। वो बोले, “शालिनी, तू गाँव की रानी है। मेरी लंड तुझसे तड़प रही है, जैसे यक्षिणी की पुकार हो। तू सो रही है, लेकिन मेरी चूत को तेरा लंड चाहिए।”

हरि यक्ष मेरे पास आए। उन्होंने मेरी नाइटी पर हाथ रखा, और मेरी चूचियाँ उनके हाथों में दब गईं। मेरी नाइटी गीली हो गई थी, और मेरे निप्पल सख्त होकर बाहर निकलने लगे। वो बोले, “शालिनी, तेरे चूचियाँ तो चूसने लायक हैं, जैसे अप्सराओं के फूल!” उन्होंने मेरी नाइटी का गला फाड़ दिया। मेरी मोटी, रसीले चूचियाँ उनके सामने नंगी हो गईं, गोल, सख्त, और निप्पल लाल, उभरे हुए, जैसे कोई देसी फूल खिल गया हो। हरि यक्ष ने मेरी एक चूची को अपने मज़बूत, खुरदुरी हाथ में लिया और ज़ोर से दबाया। उनकी उंगलियाँ मेरे निप्पल को मसल रही थीं, और उनकी गर्म, गीली जीभ मेरी चूची पर घूम रही थी। मैं नींद में सिसक उठी, “आह… हरि यक्ष, मेरे चूचियाँ चूस डालो… फाड़ डालो इनको… मेरी वासना बढ़ रही है, जैसे गाँव का राग मेरी रूह को छू ले!” उन्होंने मेरी दूसरी चूची को अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। उनके दाँत मेरे निप्पल को काटते, और मेरी चूत टपकने लगी, जैसे कोई देसी नदी बहने लगे। मैं अभी भी नींद में थी, लेकिन मेरी चूत गर्म हो रही थी, जैसे यक्षिणी की शक्ति जाग गई हो।

हरि यक्ष ने मेरी नाइटी पूरी उतार दी। मेरी नंगी चूत उनके सामने थी—गीली, गुलाबी, और गरम, उसकी हर सिलवट पानी से चमक रही थी, जैसे कोई मखमली फूल हो। मेरी गांड का उभार चिकना, मोटा था, जैसे गाँव की मिट्टी का ढेर। वो बोले, “शालिनी, तेरी चूत तो चुदने लायक है, जैसे यक्षिणी की देह हो!” उन्होंने अपनी उंगलियाँ मेरी चूत में डालीं, और मैं नींद में चिल्ला उठी, “आह… मेरी चूत में आग लग रही है… मेरी वासना बढ़ रही है, जैसे खेतों की फसल उफान पर हो!” उन्होंने अपनी जीभ मेरी चूत पर फेरी, और मैं पागल हो गई। वो बोले, “तेरी चूत का स्वाद गज़ब है… गरम, रसीला, और देसी, जैसे गाँव की मिठास!” उन्होंने मेरी चूत को अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। उनकी गर्म जीभ मेरे चूत के दाने को रगड़ रही थी, और मेरी चूतड़ उछल रहे थे, जैसे कोई देसी नृत्य हो। मैं नींद में सिसकी, “चोद डालो… मेरी चूत को लंड दो… मेरी वासना शांत करो, जैसे यक्ष की शक्ति मेरी रूह को भर दे!”

हरि यक्ष ने अपनी धोती उतारी। उनका 10 इंच का मोटा, काला लंड बाहर लहराने लगा, नसें उभरी हुई और सुपारा लाल, चमकदार, जैसे कोई मिथकीय शक्ति हो। वो बोले, “शालिनी, तेरी चूत को आज मेरा मोटा लंड यक्ष शक्ति से चोदेगा। इसे फाड़ दूँगा, और तेरी वासना शांत होगी, जैसे गाँव का मेला मेरी आत्मा को जगा दे।” मैं अभी भी नींद में थी, लेकिन मेरी चूत गीली और तड़प रही थी। उन्होंने अपना मोटा लंड मेरी चूत पर रगड़ा। उनका सुपारा मेरी चूत की फाँकों को चीर रहा था, जैसे कोई मिथकीय हल मिट्टी को तोड़ दे। मैं नींद में तड़प रही थी, “डाल दो… मेरी चूत को चोद डालो… मेरी वासना शांत करो, जैसे यक्ष की कृपा मेरी रूह को छू ले!” उन्होंने एक ज़ोरदार झटका मारा, और उनका मोटा लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया। मेरी चूत टाइट थी, और मैं नींद में चीख पड़ी, “आह… मेरा हो गया… मेरी चूत फट गई… मेरी वासना बढ़ रही है, जैसे खेतों की बारिश उफान पर हो!” हरि यक्ष ने हार्डकोर स्टाइल में ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे, और मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। मेरी चूत से खून टपकने लगा, लेकिन वो रुके नहीं। उनका मोटा लंड मेरी चूत को चोद रहा था—ज़ोर-ज़ोर से, गहराई तक, फच-फच की गीली आवाज़ छत पर गूँज रही थी, जैसे गाँव के खेतों में बारिश की फुहारें। मेरे चूचियाँ हवा में लटककर हिल रहे थे, और हरि यक्ष ने उन्हें अपने मज़बूत हाथों से मसला। मैं नींद से उठी, और चिल्लाई, “हरि यक्ष, तूने क्या किया? मेरी चूत फाड़ दी… लेकिन मेरी वासना शांत हो रही है, जैसे यक्ष की कृपा मेरी रूह को छू ले!” मेरी चूत गर्म थी, और मैं सिसकी, “चोद… और जोर से चोद… मेरी चूत को हार्डकोर से फाड़ डाल… मेरी वासना शांत करो, जैसे गाँव का राग मेरी आत्मा को संतुष्ट कर दे!”

हरि यक्ष ने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी मोटी, गोल गांड उनके सामने थी, चिकनी, उभरी हुई, और रसीली, जैसे गाँव की मिट्टी का ढेर। उन्होंने मेरी गांड पर चार ज़ोरदार थप्पड़ मारे, और मेरी गांड लाल होकर हिलने लगी। वो बोले, “शालिनी, तेरी गांड भी चोदूँगा… इसे मेरे मोटा लंड से फाड़ दूँगा… तेरी वासना को शांत करूँगा, जैसे यक्षिणी की शक्ति मेरी रूह को भर दे!” मैं सिसकी, “चोद दे, हरि यक्ष… मेरी गांड फाड़ डाल… मेरी कामुकता शांत करो, जैसे गाँव का मेला मेरी आत्मा को छू ले!” उन्होंने अपने मोटा लंड पर थूक और तेल लगाया, फिर मेरी गांड में धीरे से डाला। मेरी गांड टाइट थी, और मैं चीख पड़ी, “आह… मेरी गांड फट गई… मेरी वासना बढ़ रही है, जैसे खेतों की मिट्टी उफान पर हो!” हरि यक्ष ने हार्डकोर स्टाइल में ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे, और मेरी गांड को चोदा। मेरी चूचियाँ हिल रही थीं, और मेरी चूत टपक रही थी। उनकी चुदाई से मेरा जिस्म काँप रहा था, जैसे गाँव की बारिश में खेत थरथराने लगें। मैं चिल्लाई, “हरि यक्ष, मेरी चूत और गांड दोनों हार्डकोर से फाड़ डाल… मेरी वासना शांत करो, जैसे यक्ष की कृपा मेरी रूह को संतुष्ट कर दे!”

रात गहराई, और हरि यक्ष ने मुझे बेडरूम में ले जाया। उन्होंने मुझे बिस्तर पर पटका, और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं। मेरी चूत और गांड दोनों उनके सामने खुली थीं। उन्होंने मेरी चूत में मोटा लंड पेला, और मैं चिल्लाई, “आह… हरि यक्ष, मेरी चूत को हार्डकोर से चोद डाल… इसे फाड़ डाल… मेरी वासना शांत करो, जैसे गाँव का राग मेरी आत्मा को जगा दे!” उनका मोटा लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। उन्होंने मेरे चूचियाँ अपने मुँह में लिए और चूसने लगा। मैं सिसक रही थी, “चोद… और जोर से चोद… मेरी चूत और गांड दोनों हार्डकोर से फाड़ डाल… मेरी कामुकता शांत करो, जैसे यक्षिणी की शक्ति मेरी रूह को भर दे!” हरि यक्ष ने मेरी गांड में उंगली डाली, और मैं चीखी, “मेरी गांड में मोटा लंड डाल, इसे हार्डकोर से भोसड़ा बना डाल… मेरी वासना शांत करो, जैसे देसी नदी मेरी प्यास बुझा दे!” उन्होंने मेरी गांड में मोटा लंड ठूंस दिया, और मेरी चीखें कमरे में गूँजने लगीं। उनकी हार्डकोर चुदाई से मेरा जिस्म पागल हो गया, जैसे भारतीय रात में कोई तूफान उठे।

हरि यक्ष ने मुझे बागीचे में ले जाया, जहाँ गाँव की ठंडी हवा मेरे नंगे जिस्म को छू रही थी। चाँदनी रात में, खेतों की मिट्टी की खुशबू के बीच, उन्होंने मुझे पेड़ के नीचे लिटाया। बारिश के पानी ने हमें भिगोया, और मेरी चूचियाँ पानी से चमक रही थीं, मेरी गांड गीली होकर और रसीली लग रही थी। उन्होंने मुझे ज़मीन पर सटाया और मेरी चूत में मोटा लंड पेला। मैं चिल्लाई, “आह… हरि यक्ष, मेरी चूत को हार्डकोर से चोद डाल… इसे फाड़ डाल… मेरी वासना शांत करो, जैसे गाँव का मेला मेरी रूह को संतुष्ट कर दे!” उनका मोटा लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था, और बारिश मेरे चूचियों पर टपक रही थी। वो बोले, “शालिनी, तेरी चूत मेरे मोटा लंड की गुलाम है… इसे हार्डकोर से फाड़ दूँगा… तेरी वासना शांत होगी, जैसे यक्ष की कृपा मेरी शक्ति भर दे!” मैं सिसकी, “चोद… और जोर से चोद… मेरी चूत और गांड दोनों हार्डकोर से फाड़ डाल… मेरी कामुकता शांत करो, जैसे देसी राग मेरी आत्मा को छू ले!”

सुबह हुई, और मैं हरि यक्ष की बाहों में नंगी पड़ी थी। मेरी चूत सूजकर लाल हो गई थी, गांड फटकर दर्द से काँप रही थी, और मेरे चूचियाँ नीले पड़ गए थे। वो बोले, “शालिनी, तेरी चूत और गांड मेरे मोटा लंड की गुलाम हैं। मैंने तेरी वासना शांत कर दी, जैसे यक्ष की शक्ति मेरी रूह को जगा दे।” मैंने उसके मोटा लंड को मुँह में लिया और चूसते हुए बोली, “हरि यक्ष, मेरी चूत को फिर हार्डकोर से चोद, इसे फाड़ डाल… मेरी गांड को भी हार्डकोर से भोसड़ा बना डाल… आपने मेरी वासना शांत की, लेकिन मेरी कामुकता अभी भी तड़प रही है, जैसे गाँव का मेला मेरी आत्मा को बुला रहा हो!” हमने सुबह की गरम, हार्डकोर चुदाई शुरू की, खेतों की मिट्टी पर, चाँदनी और बारिश की बूंदों के बीच। यह एक वाइल्ड, हॉट, और देसी कामुक रात और सुबह थी, जो कभी खत्म नहीं हुई। मेरी वासना शांत हुई, लेकिन मेरी चूत हरि यक्ष के मोटा लंड की गुलाम हो गई, जैसे भारतीय लोककथा मेरी रूह में समा गई हो।