मेरी बलखाती जवानी को शांत किया मेरा चाचा – हिंदी हॉट सेक्स स्टोरी

मेरा नाम काव्या है, उम्र 19 साल। मैं एक ऐसी लड़की हूँ जिसे देखकर हर मर्द की साँसें थम जाएँ। मेरा रंग गोरा है, चूचियाँ भारी, रसीली और उभरी हुई, गांड मोटी, गोल और थिरकती हुई, और मेरी कमर इतनी पतली कि उस पर हाथ फेरने का मन करे। मेरे होंठ गुलाबी और मांसल हैं, और मेरी आँखों में एक नशीली चमक है जो किसी को भी दीवाना बना दे। मेरी जवानी बलखा रही थी, और मेरी चूत में हर वक्त आग लगी रहती थी। मैं दिल्ली में अपने माता-पिता के साथ रहती थी, लेकिन उस गर्मी की छुट्टियों में मैं अपने गाँव गई, जहाँ मेरे चाचा, रमेश, रहते थे। चाचा 38 साल के थे, मज़बूत, साँवले और जवान। उनकी मज़बूत बाँहें और चौड़ा सीना मुझे हमेशा आकर्षित करता था। ये कहानी उस रात की है जब चाचा ने मेरी बलखाती जवानी को अपने लंड से शांत किया।

हमारा गाँव उत्तर प्रदेश के एक छोटे से इलाके में है। मैं हर साल गर्मियों में गाँव जाती थी, और चाचा के साथ खूब मस्ती करती थी। वो मुझे बहुत प्यार करते थे, लेकिन इस बार उनकी नज़रें कुछ अलग थीं। जब मैं गाँव पहुँची, मैंने एक टाइट सलवार-कमीज़ पहनी थी, जिसमें मेरी चूचियाँ और गांड साफ उभर रही थीं। चाचा ने मुझे देखा, और उनकी आँखों में एक भूख दिखी। वो मेरे पास आए और बोले, “काव्या, तू तो बहुत बड़ी हो गई है।” मैं शरम से लाल हो गई, लेकिन उनकी तारीफ सुनकर मेरे जिस्म में एक सिहरन दौड़ गई।

गाँव में दिनभर मैं चाचा के साथ खेतों में घूमती, और वो मुझे अपने मज़बूत कंधों पर उठाते। उनकी छुअन से मेरी चूत गीली हो जाती थी, और मैं रात को अपनी उंगलियों से खुद को शांत करती। लेकिन मेरी जवानी इतनी बेकाबू थी कि उंगलियाँ मेरी आग नहीं बुझा पाती थीं। मैं चाहती थी कि कोई मर्द मुझे चोदे और मेरी चूत की प्यास बुझाए। मुझे नहीं पता था कि चाचा मेरी उस प्यास को बुझाने वाले थे।

एक रात की बात है। गाँव में बिजली चली गई थी, और गर्मी से मैं परेशान थी। मैंने एक पतली सी नाइटी पहनी थी, जो मेरे जिस्म से चिपक रही थी। मेरी चूचियाँ नाइटी से बाहर आने को बेताब थीं, और मेरी गांड साफ दिख रही थी। चाचा और मैं छत पर सो रहे थे, क्योंकि कमरे में बहुत गर्मी थी। चाचा ने सिर्फ लुंगी पहनी थी, और उनकी मज़बूत छाती चाँदनी में चमक रही थी। मैं उनके बगल में लेटी थी, और मेरी चूत में फिर से आग लग रही थी। मैं करवटें बदल रही थी, और मेरी नाइटी मेरी जाँघों तक सरक गई थी।

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चाचा ने मेरी तरफ देखा और बोले, “काव्या, नींद नहीं आ रही?” मैंने शरमाते हुए कहा, “हाँ, चाचा, बहुत गर्मी है।” वो मेरे करीब आए और मेरे कंधे पर हाथ रखा। उनकी गर्म छुअन ने मुझे सिहरन से भर दिया। मैंने उनकी आँखों में देखा, और उनकी नज़रें मेरी चूचियों पर टिकी थीं। मैंने हिम्मत की और बोली, “चाचा, आप बहुत मज़बूत हो।” वो हँसे और बोले, “काव्या, तू भी तो बहुत हॉट है।” उनकी बातों ने मेरे अंदर की आग भड़का दी। मैंने उनकी छाती पर हाथ रखा, और वो मेरे और करीब आए।

उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए, और मैं उनके चुम्बन में डूब गई। उनका चुम्बन सख्त और गर्म था, और मैं उनकी जीभ चूसने लगी। मैं सिसक उठी, “आह्ह… चाचा, ये क्या कर रहे हो?” वो बोले, “काव्या, तेरी जवानी मुझे पागल कर रही है।” उन्होंने मेरी नाइटी फाड़ दी, और मेरी नंगी चूचियाँ उनके सामने थीं। मेरे निप्पल सख्त और गुलाबी थे, और उन्होंने एक चूची को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… चाचा, चूसो, मुझे जलन हो रही है!” उनकी जीभ मेरे निप्पल पर नाच रही थी, और उनका दूसरा हाथ मेरी दूसरी चूची मसल रहा था। मेरी चूत गीली हो गई थी, और मैं तड़प रही थी।

मैंने उनकी लुंगी खींच दी, और उनका मोटा लंड मेरे सामने था। वो काला, लंबा और सख्त था। मैंने उसे हाथ में लिया और सहलाने लगी। वो सिसक रहे थे, “आह्ह… काव्या, तू बहुत गर्म है!” मैंने उनका लंड अपने मुँह में लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। उनका लंड मेरे गले तक जा रहा था, और मैं उनकी गर्मी महसूस कर रही थी। वो चीख रहे थे, “आह्ह… काव्या, कितना मज़ा दे रही है!” मैंने उनकी आँखों में देखा और बोली, “चाचा, मेरी चूत में डालो।”

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उन्होंने मुझे छत पर लिटाया और मेरी जाँघें फैला दीं। उन्होंने मेरी चूत पर जीभ फिराई, और मैं चीख पड़ी, “आह्ह… चाचा, चाटो इसे!” वो मेरी चूत चाटने लगे, और मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… और ज़ोर से!” उनकी जीभ मेरी चूत में अंदर तक जा रही थी, और मेरा रस उनके मुँह में आ रहा था। फिर उन्होंने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… चाचा, मेरी चूत फट गई!” वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मारने लगे, और मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… चाचा, और ज़ोर से चोदो!”

उनकी ठापों से मेरा पूरा शरीर हिल रहा था, और मेरी चूत से रस बह रहा था। मैंने उनकी छाती पर हाथ फेरा और बोली, “चाचा, आपका लंड बहुत मस्त है!” वो मेरी चूचियाँ मसल रहे थे, और मैं चीख रही थी, “आह्ह… नोच दो इन्हें!” उन्होंने मेरे निप्पल काटे, और मैं तड़प रही थी, “उफ्फ… और करो!” उनकी ठापों से छत गूँज रही थी, और मेरी सिसकियाँ रात के सन्नाटे में फैल रही थीं। कुछ देर बाद उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी गांड उनके सामने थी, और उन्होंने मेरी गांड पर थप्पड़ मारा। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… चाचा, और मारो!”

उन्होंने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी गांड में डाल दिया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… चाचा, मेरी गांड फट गई!” वो मेरी गांड में ठाप मारने लगे, और मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… और ज़ोर से!” उन्होंने मेरी गांड पर और थप्पड़ मारे, और मैं चीख रही थी, “आह्ह… मेरी गांड लाल कर दो!” उनकी ठापों से मेरी गांड जल रही थी, और मेरी चूत से रस टपक रहा था। फिर उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठाया और मेरी चूत में ठाप मारने लगे। मैं उनके कंधों पर थी और चीख रही थी, “आह्ह… चाचा, मुझे उड़ा दो!” वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मार रहे थे, और मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… चाचा, आपका लंड स्वर्ग है!”

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उन्होंने मुझे फिर से लिटाया और मेरी चूत में ठाप मारने लगे। मैं चीख रही थी, “चाचा, मेरी चूत फाड़ दो!” उनकी ठापों से मेरा शरीर काँप रहा था, और मेरी सिसकियाँ तेज़ हो रही थीं। मैंने कहा, “चाचा, मेरे मुँह में डालो!” उन्होंने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया, और मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। वो सिसक रहे थे, “आह्ह… काव्या, तेरा मुँह बहुत गर्म है!” मैं उनकी आँखों में देख रही थी, और मेरी जीभ उनके लंड पर नाच रही थी।

आखिर में उन्होंने मुझे लिटाया और मेरी चूत में ठाप मारने लगे। मैं चीख रही थी, “चाचा, मुझे चोद डालो!” वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मार रहे थे, और मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। उन्होंने कहा, “काव्या, मैं झड़ने वाला हूँ!” मैं चीख रही थी, “चाचा, मेरी चूत में झड़ जाओ!” उन्होंने तेज़ ठाप मारी, और उनका गर्म माल मेरी चूत में भर गया। मैं काँपते हुए उनके नीचे पड़ी थी, और वो मेरे ऊपर ढेर हो गए। हम दोनों हाँफ रहे थे, और मेरा शरीर पसीने और रस से भीगा हुआ था।

वो मेरे कान में बोले, “काव्या, तेरी जवानी ने मुझे पागल कर दिया।” मैं हँसते हुए बोली, “चाचा, आपने मेरी आग बुझा दी।” उस रात के बाद मैं जब भी गाँव गई, चाचा ने मुझे चोदा। वो मेरी चूत और गांड को नोचते, और मैं उनकी ठापों में अपनी जवानी का मज़ा लेती। ये हमारा गुप्त रिश्ता बन गया, जो मेरी बलखाती जवानी को शांत रखता है।