मेरा नाम नेहा है, उम्र 30 साल। मैं एक ऐसी औरत हूँ जिसे देखकर हर मर्द का लंड खड़ा हो जाए। मेरा रंग गोरा है, चूचियाँ बड़ी, रसीली और टाइट, गांड मोटी, गोल और थिरकती हुई, और मेरी कमर इतनी पतली कि उस पर हाथ फेरने का मन करे। मेरे होंठ गुलाबी और मांसल हैं, और मेरी आँखों में एक नशीली चमक है जो किसी को भी दीवाना बना दे। मैं बहुत कामुक हूँ, और मुझे सेक्स बहुत पसंद है। मेरी शादी राहुल से हुई थी, जो 35 साल का है। राहुल एक ऑफिस में काम करता है, और सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक घर से बाहर रहता है। लेकिन मेरी ये कहानी मेरे पड़ोस के लड़के, विक्की, के साथ मेरे गुप्त संबंधों की है, जो मेरी चुदाई की भूख को शांत करता है।
हमारा घर दिल्ली के एक पॉश इलाके में है। राहुल एक अच्छा पति है, लेकिन उसमें वो जोश नहीं जो मुझे चाहिए। शुरू में हमारी सेक्स लाइफ ठीक थी। वो रात को मेरी चूचियाँ दबाता, मेरी चूत में लंड डालता, और मुझे चोदता। उसका लंड ठीक-ठाक था, लेकिन कुछ महीनों बाद वो जल्दी थकने लगा। वो मुझे आधे रास्ते में छोड़ देता, और मैं रातभर तड़पती रहती। मेरी चूत में आग लगी रहती, और मैं अपनी उंगलियों से खुद को शांत करने की कोशिश करती। लेकिन एक कामुक औरत की भूख उंगलियों से कहाँ मिटती है? मेरी तड़प बढ़ती गई, और मैंने अपने पड़ोस के लड़के, विक्की, को अपनी हवस का शिकार बनाया।
विक्की 22 साल का है, जवान, मज़बूत और हॉट। उसका रंग साँवला है, चौड़ा सीना, मज़बूत बाँहें और एक ऐसा जिस्म जो किसी भी औरत को पागल कर दे। वो हमारे पड़ोस में रहता है, और कॉलेज में पढ़ता है। वो अक्सर अपने घर की बालकनी से मुझे देखता था। जब मैं साड़ी या नाइटी में बाहर निकलती, मेरी चूचियाँ और गांड को घूरता। उसकी नज़रें मेरे जिस्म पर टिक जातीं, और मैं शरम से लाल हो जाती, लेकिन अंदर से मुझे उसकी वो भूखी नज़रें अच्छी लगती थीं। मैं जानबूझकर अपनी साड़ी का पल्लू गिराती, या नाइटी में झुककर उसे अपने जिस्म की झलक दिखाती। एक दिन मैंने उसे अपने घर बुलाया, और वहीं से हमारा खेल शुरू हुआ।
एक सुबह की बात है। राहुल ऑफिस चला गया था। मैं अपने कमरे में थी, और एक पतली नाइटी पहनी थी जो मेरे शरीर से चिपककर मेरी चूचियों और गांड को उभार रही थी। मैंने जानबूझकर खिड़की खुली छोड़ी, और बाहर झाँकने लगी। विक्की अपनी बालकनी में खड़ा था, और
और मुझे देख रहा था। मैंने उसे इशारा किया और बोली, “विक्की, यहाँ आओ, मुझे कुछ मदद चाहिए।” वो हँसा और बोला, “दीदी, अभी आता हूँ।” कुछ मिनट बाद वो मेरे घर आ गया। मैंने उसे अंदर बुलाया और दरवाज़ा बंद कर दिया। वो मेरे पास आया और बोला, “क्या काम है, दीदी?” मैंने उसकी आँखों में देखा और बोली, “विक्की, मुझे तेरी मदद चाहिए। राहुल घर पर नहीं है, और मैं अकेली हूँ।”
वो मेरे करीब आया, और उसकी नज़रें मेरी चूचियों पर टिक गईं। मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपनी कमर पर रख दिया। वो हिचक गया और बोला, “दीदी, ये ठीक नहीं।” मैंने हँसते हुए कहा, “विक्की, मुझे सेक्स चाहिए, और तू मुझे वो दे सकता है।” मेरी बातों ने उसके अंदर की आग भड़का दी। उसने मुझे अपनी बाँहों में खींच लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसका चुम्बन गर्म और जंगली था, और मैं उसके होंठ चूसने लगी। उसकी जीभ मेरे मुँह में घूम रही थी, और मेरे शरीर में आग लग गई थी। मैं सिसक उठी, “आह्ह… विक्की, कितना मज़ा आ रहा है!”
उसने मेरी नाइटी के ऊपर से मेरी चूचियों को दबाया। उसकी मज़बूत पकड़ ने मुझे पागल कर दिया। मैं चीख रही थी, “उफ्फ… विक्की, और ज़ोर से दबा!” उसने मेरी नाइटी फाड़ दी, और मेरी नंगी चूचियाँ उसके सामने थीं। मेरे निप्पल सख्त और गुलाबी थे, और उसने एक चूची को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। मैं सिसक रही थी, “आह्ह… विक्की, चूस इसे, मुझे जलन हो रही है!” उसकी जीभ मेरे निप्पल पर नाच रही थी, और उसका दूसरा हाथ मेरी दूसरी चूची को मसल रहा था। मेरी चूत गीली हो गई थी, और मैं तड़प रही थी। मैंने उसकी शर्ट उतार दी, और उसकी मज़बूत छाती मेरे सामने थी। मैंने उसकी छाती पर हाथ फेरा और बोली, “विक्की, तेरा जिस्म बहुत मस्त है!”
उसने मेरी पैंटी उतार दी, और मेरी चिकनी चूत उसके सामने थी। उसने मेरी जाँघों को फैलाया और मेरी चूत पर अपनी उंगली फिराई। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… विक्की, अंदर डाल!” उसने अपनी उंगली मेरी चूत में डाल दी, और मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… और कर!” उसने अपनी पैंट उतारी, और उसका मोटा लंड मेरे सामने था। वो काला, लंबा और सख्त था। मैं बोली, “ये तो बहुत बड़ा है!” उसने हँसते हुए कहा, “दीदी, ये तुम्हारे लिए है।” उसने मुझे सोफे पर लिटाया और मेरी चूत पर अपना लंड रखा। मैं काँप रही थी और बोली, “विक्की, आहिस्ता डालना।” उसने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उसका लंड मेरी चूत में घुस गया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… विक्की, मेरी चूत फट गई!”
वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मारने लगा, और मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… विक्की, और ज़ोर से चोद!” उसकी ठापों से मेरा पूरा शरीर हिल रहा था, और मेरी चूत से रस बह रहा था। उसने मेरी चूचियों को पकड़ा और उन्हें मसलने लगा। मैं चीख रही थी, “आह्ह… विक्की, मेरी चूचियाँ दबा, मुझे जलन चाहिए!” उसने मेरे निप्पल काटे, और मैं तड़प उठी, “उफ्फ… और कर!” उसकी ठापों से कमरा गूँज रहा था, और मेरी सिसकियाँ तेज़ हो रही थीं। मैं अपनी कामुकता में डूब चुकी थी, और मुझे सिर्फ उसका लंड चाहिए था।
कुछ देर बाद उसने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी गांड उसके सामने ऊँची हो गई, और उसने मेरी गांड पर हाथ फेरा। वो बोला, “दीदी, तुम्हारी गांड बहुत मस्त है।” मैं सिसकते हुए बोली, “विक्की, इसे भी चोद दे!” उसने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी गांड में डाल दिया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… विक्की, मेरी गांड फट गई!” वो मेरी गांड में ठाप मारने लगा, और मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… और ज़ोर से, मुझे दर्द चाहिए!” उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारे, और मैं चीख रही थी, “आह्ह… मारो और, मेरी गांड लाल कर दो!” उसकी ठापों से मेरी गांड जल रही थी, और मेरी चूत से रस टपक रहा था।
फिर उसने मुझे अपनी गोद में उठाया और मेरी चूत में ठाप मारने लगा। मैं उसके कंधों पर थी और चीख रही थी, “आह्ह… विक्की, मुझे उड़ा दे!” उसने मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदा, और उसकी ठापों से मेरा पूरा शरीर काँप रहा था। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… विक्की, तेरा लंड बहुत मस्त है!” उसने मेरी चूचियों को चूसा, और मैं तड़प रही थी, “आह्ह… और चूस!” उसने मुझे फर्श पर पटक दिया और मेरी चूत में फिर से ठाप मारने लगा। मैं चीख रही थी, “विक्की, मेरी चूत फाड़ दे!” उसकी ठापों से फर्श हिल रहा था, और मेरी सिसकियाँ आसमान तक जा रही थीं।
कुछ देर बाद उसने मुझे घोड़ी बनाकर मेरी गांड में फिर से ठाप मारी। मैं सिसक रही थी, “आह्ह… विक्की, मेरी गांड जल रही है!” उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारे, और मैं चीख रही थी, “उफ्फ… और मारो!” उसकी ठापों से मेरी गांड लाल हो गई थी, और मेरी चूत से रस बह रहा था। मैंने कहा, “विक्की, मेरे मुँह में डाल!” उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया, और मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। वो सिसक रहा था, “आह्ह… दीदी, तेरा मुँह बहुत गर्म है!” मैं उसका लंड चूस रही थी, और मेरी जीभ उसके टोपे पर नाच रही थी।
आखिर में उसने मुझे सोफे पर लिटाया और मेरी चूत में ठाप मारने लगा। मैं सिसक रही थी, “विक्की, मुझे चोद डाल!” वो ज़ोर-ज़ोर से ठाप मार रहा था, और मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। उसने कहा, “दीदी, मैं झड़ने वाला हूँ!” मैं चीख रही थी, “विक्की, मेरी चूत में झड़ जा!” उसने तेज़ ठाप मारी, और उसका गर्म माल मेरी चूत में भर गया। मैं काँपते हुए सोफे पर गिर पड़ी, और वो मेरे ऊपर ढेर हो गया। हम दोनों हाँफ रहे थे, और मेरा शरीर पसीने और रस से भीगा हुआ था।
उसने मेरे कान में फुसफुसाया, “दीदी, तू बहुत कामुक है।” मैं हँसते हुए बोली, “विक्की, तूने मेरी आग बुझा दी।” वो उठा, अपने कपड़े पहने और चला गया। उस दिन के बाद जब भी राहुल ऑफिस जाता है, मैं विक्की को बुलाती हूँ। वो मेरे घर आता है, और हम दिनभर चुदाई करते हैं। राहुल को कुछ पता नहीं, और मैं अपनी कामुकता को विक्की के लंड से शांत करती हूँ। ये हमारा गुप्त संबंध है, जो मेरी सेक्स की भूख को पूरा करता है।