मेरा नाम प्रिया है, उम्र 26 साल। मैं एक छोटे से गाँव की लड़की थी, जब मेरी शादी राजेश से हुई। राजेश की उम्र 30 साल है, वो एक साधारण सा इंसान है, पतला, कमज़ोर और उसका स्वभाव भी कुछ ठंडा। मेरे ससुर, विजय जी, उम्र 55 साल, एक मज़बूत और रौबीले इंसान हैं। उनका कद लंबा है, चौड़ा सीना, और उनकी आँखों में एक अजीब सा जादू है। मैं गोरी हूँ, मेरी चूचियाँ भारी और गोल हैं, कमर पतली और गांड मोटी और उभरी हुई। मेरे होंठ रसीले हैं, और मेरे चेहरे पर एक मासूमियत है जो मर्दों को पागल कर देती है। लेकिन ये कहानी मेरे पति की नहीं, मेरे ससुर की है, जिनके साथ मैं हर रात सोती हूँ।
शादी के बाद मैं अपने ससुराल आई। राजेश का घर बड़ा था, गाँव में एक हवेली जैसा। पहले कुछ दिन तो सब ठीक था। राजेश मेरे साथ प्यार करता, लेकिन उसमें वो जोश नहीं था जो मुझे चाहिए था। उसकी कमज़ोरी की वजह से हमारा शारीरिक रिश्ता कभी पूरा नहीं हो पाया। मैं रातभर तड़पती रहती, लेकिन राजेश जल्दी थक जाता और सो जाता। दूसरी तरफ, मेरे ससुर की नज़रें मुझ पर हमेशा रहती थीं। जब मैं घर में झाड़ू लगाती, या रसोई में काम करती, वो मुझे घूरते। उनकी नज़रें मेरी चूचियों और गांड पर टिक जातीं, और मुझे अंदर से एक अजीब सी गुदगुदी होती। मैं शरमा जाती, लेकिन मन ही मन मुझे उनकी वो नज़रें अच्छी लगती थीं।
एक रात की बात है। राजेश शहर गया था किसी काम से, और घर में सिर्फ मैं और ससुर जी थे। मैं अपने कमरे में सोने की तैयारी कर रही थी। मैंने एक पतली सी नाइटी पहनी थी, जो मेरे शरीर से चिपककर मेरी चूचियों और गांड को उभार रही थी। रात के करीब 11 बजे होंगे, जब मेरे कमरे का दरवाज़ा खुला। मैंने देखा, ससुर जी अंदर आ रहे थे। वो सिर्फ लुंगी और बनियान में थे, और उनकी मज़बूत बाँहें और चौड़ा सीना मुझे साफ दिख रहा था। मैं घबरा गई और बोली, “ससुर जी, आप यहाँ? कुछ चाहिए?” वो मेरे पास आए और धीरे से बोले, “प्रिया, मुझे नींद नहीं आ रही। थोड़ी देर तेरे पास बैठ जाऊँ?” मैंने हिचकते हुए कहा, “ठीक है, बैठिए।”
वो मेरे बिस्तर पर बैठ गए। उनकी नज़रें मेरे शरीर पर थीं, और मैं शरम से लाल हो रही थी। उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोले, “प्रिया, तू बहुत सुंदर है। राजेश तेरे साथ पूरा नहीं कर पाता, ना?” मैं चौंक गई। मुझे नहीं पता था कि क्या कहूँ। मैं चुप रही, लेकिन मेरी साँसें तेज़ हो गईं। ससुर जी मेरे और करीब आए और मेरे गाल पर हाथ फेरते हुए बोले, “मुझे पता है, तुझे वो सुख नहीं मिलता जो तुझे चाहिए।” उनकी बातों ने मेरे अंदर की आग को और भड़का दिया। मैं कुछ बोल पाती, उससे पहले उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उनका चुम्बन सख्त और गर्म था, और मैं अपने आप को रोक नहीं पाई। मैंने भी उनके होंठ चूसने शुरू कर दिए। मेरी जीभ उनके मुँह में चली गई, और हम दोनों एक-दूसरे में खो गए।
ससुर जी ने मेरी नाइटी के ऊपर से मेरी चूचियों को दबाया। उनकी मज़बूत पकड़ ने मुझे सिहरन से भर दिया। मैं सिसकारी भरते हुए बोली, “आह्ह… ससुर जी, ये क्या कर रहे हैं?” वो बोले, “प्रिया, तुझे वो मज़ा दूँगा जो राजेश कभी नहीं दे पाया।” उन्होंने मेरी नाइटी को कंधों से नीचे खींचा, और मेरी चूचियाँ उनके सामने नंगी हो गईं। मेरे निप्पल सख्त थे, और वो मेरी एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगे। मैं चीख पड़ी, “उफ्फ… ससुर जी, कितना अच्छा लग रहा है!” उनकी जीभ मेरे निप्पल पर घूम रही थी, और उनका दूसरा हाथ मेरी दूसरी चूची को मसल रहा था। मेरी साँसें तेज़ हो गईं, और मेरी चूत में गीलापन बढ़ने लगा। मैंने उनका सिर अपनी चूचियों पर दबाया और बोली, “और ज़ोर से चूसिए, ससुर जी!”
उन्होंने मेरी नाइटी को पूरा उतार दिया। अब मैं सिर्फ पैंटी में थी, जो मेरी उत्तेजना से गीली हो चुकी थी। ससुर जी ने मेरी पैंटी को भी खींचकर निकाल दिया, और मेरी चिकनी चूत उनके सामने थी। उन्होंने मेरी जाँघों को फैलाया और मेरी चूत पर अपनी उंगलियाँ फिराईं। मैं तड़प उठी, “आह्ह… ससुर जी, ये क्या कर रहे हैं?” वो बोले, “प्रिया, तेरी चूत बहुत गर्म है, इसे शांत करना पड़ेगा।” उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल दी, और मैं सिसक पड़ी। मेरी चूत टाइट थी, और उनकी उंगली मुझे अंदर तक महसूस हो रही थी। वो उंगली अंदर-बाहर करने लगे, और मैं सिसकते हुए बोली, “उफ्फ… और करिए, ससुर जी!”
ससुर जी ने अपनी लुंगी उतारी, और जब उनका लंड बाहर आया, मेरी आँखें फटी रह गईं। उनका लंड मोटा और लंबा था, सख्त और तना हुआ। मैं डरते हुए बोली, “ससुर जी, ये बहुत बड़ा है!” वो हँसे और बोले, “प्रिया, ये तेरे लिए ही है।” उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे पैर फैला दिए। उनका लंड मेरी चूत के मुँह पर टच हुआ, और मैं काँप उठी। मैंने कहा, “आहिस्ता डालिए, ससुर जी।” उन्होंने मेरी कमर पकड़ी और एक ज़ोरदार धक्का मारा। उनका मोटा लंड मेरी चूत में घुस गया, और मैं चीख पड़ी, “आह्ह… ससुर जी, मेरी चूत फट गई!”
वो धीरे-धीरे ठाप मारने लगे। उनका लंड मेरी चूत को चीर रहा था, और मुझे दर्द के साथ मज़ा भी आ रहा था। मैं सिसक रही थी, “ससुर जी, और ज़ोर से, मुझे चोद डालिए!” उन्होंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी, और हर धक्के के साथ मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। उन्होंने मेरी चूचियों को पकड़कर मसला, और मैं चीख रही थी, “उफ्फ… कितना मज़ा दे रहे हैं!” उनका लंड मेरी चूत में गहराई तक जा रहा था, और मेरी साँसें रुक रही थीं। मैंने उनकी कमर पकड़कर उन्हें और अंदर खींचा, और वो ज़ोर-ज़ोर से मुझे चोदने लगे। कमरे में मेरी सिसकियाँ और उनकी ठापों की आवाज़ गूँज रही थी।
कुछ देर बाद ससुर जी ने मुझे घोड़ी बनाया। मैं अपने घुटनों और हाथों के बल झुक गई, और मेरी गांड उनके सामने ऊँची हो गई। उन्होंने मेरी गांड पर हाथ फेरा और बोले, “प्रिया, तेरी गांड भी बहुत मस्त है।” मैं बोली, “तो इसे भी चोद दीजिए, ससुर जी।” उन्होंने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी गांड के छेद पर रखा। मैं काँप रही थी, लेकिन मुझे सब अच्छा लग रहा था। उन्होंने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उनका मोटा लंड मेरी गांड में घुस गया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… ससुर जी, मेरी गांड फट गई!” दर्द बहुत था, लेकिन मज़ा उससे कहीं ज़्यादा।
वो मेरी गांड में ठाप मारने लगे। उनका लंड मेरी गांड को फाड़ रहा था, और मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… और ज़ोर से!” उन्होंने मेरी गांड पर थप्पड़ मारे, और मेरी चीखें तेज़ हो गईं, “हाय… मारिए और, मुझे जलन चाहिए!” उनकी ठापों से मेरी गांड लाल हो गई, और मेरी चूत से रस टपक रहा था। उन्होंने मेरी चूचियों को पकड़कर मुझे पीछे खींचा, और मैं उनके हर धक्के के साथ तड़प रही थी। मेरा शरीर गर्मी से भर गया था, और मैं सब कुछ भूल चुकी थी।
कुछ देर बाद ससुर जी बोले, “प्रिया, मैं झड़ने वाला हूँ।” मैं सिसकते हुए बोली, “अंदर ही झड़ जाइए, ससुर जी, मुझे आपकी गर्मी चाहिए।” उन्होंने कुछ तेज़ धक्के मारे, और फिर उनका गर्म माल मेरी गांड में भर गया। मैं काँपते हुए बिस्तर पर गिर पड़ी, और वो मेरे ऊपर ढेर हो गए। हम दोनों की साँसें तेज़ थीं, और मेरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था। ससुर जी मेरे कान में फुसफुसाए, “प्रिया, तू मेरी असली बहू है।” मैं हँसते हुए बोली, “ससुर जी, आप मेरे असली मर्द हैं।”
उस रात के बाद मैं पति के साथ नहीं, ससुर जी के साथ सोने लगी। राजेश को कुछ पता नहीं, और मैं हर रात ससुर जी की बाँहों में सुख पाती।